भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने शुक्रवार यानी 27 जनवरी 2023 को ओडिशा तक के पास हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल का परीक्षण किया. टेस्ट में क्या नतीजे आए उसके बारे में किसी तरह का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन हम आपको बताते हैं कि आखिर ये हथियार है क्या?
भारत पिछले कुछ सालों से हाइपरसोनिक हथियार पर काम कर रहा है. इसकी टेस्टिंग भी कर चुका है. डीआरडीओ ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक प्लेन कहते हैं.
पिछली बार एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इस दौरान इसकी गति करीब 7500 किमी प्रति घंटा थी. भविष्य में इसकी गति को घटाया या बढ़ाया जा सकता है. अगर इसमें पारंपरिक या परमाणु हथियार लगाकर दागते हैं, तो पाकिस्तान में हमला कुछ ही सेकेंड में जो जाएगा. इस यान के जरिए बम गिरा सकते हैं या फिर इसे ही बम बनाकर दुश्मन के अड्डे पर गिरा सकते हैं. क्योंकि इसकी गति बेहद घातक होती है.
सवाल ये उठता है कि हाइपरसोनिक मिसाइल या विमान की जरुरत क्यों पड़ रही हैं. इसकी वजह है अमेरिका. अमेरिका पिछले कुछ सालों से लगातार हाइपरसोनिक मिसाइल और विमान बनाने का प्रयास कर रहा है. हालांकि रूस उससे इस मामले में आगे निकल चुका है. रूस के पास कई हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं. भारत के पड़ोसी देश चीन के पास भी इस तरह के हथियार के होने की खबर है. ऐसे में जरूरी है कि रणनीतिक स्तर पर संतुलन बनाए रखने के लिए हाइपरसोनिक हथियार या विमान को जल्द से जल्द बना लिया जाए.
भारत ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहा है. इसमें भी स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे तेज गति और ग्लाइड करने की ताकत देगा. इसकी रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन गति 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से दागा जा सकेगा.
हाइपरसोनिक हथियार वो होते हैं, जो साउंड की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड में चले. यानी 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे ज्यादा. भारत ने आज जो परीक्षण किया है वह हथियार पिछले टेस्ट में ही 7500 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हासिल कर चुका है. भविष्य में इसे 12 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा तक पहुंचाने का प्रयास होगा. इनकी गति इतनी तेज होती है कि इन्हें ट्रैक करके मार गिराना आसान नहीं होता. रूस यूक्रेन युद्ध में रूस ने यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला तक किया था.
भविष्य में हाइपरसोनिक हथियारों का जखीरा बढ़ेगा और ये ज्यादा घातक हो जाएंगे. अमेरिका तो ऐसे हथियार बना रहा है जो बैलिस्टिक मिसाइल की तरह लॉन्च होगा लेकिन टारगेट को ध्वस्त करने से पहले उसकी गति आवाज की गति से आठ गुना ज्यादा हो जाएगी. अमेरिका ऐसी तकनीक का परीक्षण अपने जमवॉल्ट क्लास विध्वंसक में कर रहा है.
किसी भी क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल की गति तेज होती है. इनकी गति और दिशा को ट्रैक कर सकते हैं. इन्हें मार कर गिरा सकते हैं. लेकिन गति अगर 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे ज्यादा होती है तो इन्हें गिराना लगभग असंभव हो जाता है. अगर खुद से दिशा बदलने की तकनीक लगा दी जाए तो फिर इन्हें ट्रैक करना बहुत मुश्किल होता है.
हाइपरसोनिक हथियार दो प्रकार के होते हैं. पहले होते हैं ग्लाइड व्हीकल्स. दूसरे क्रूज मिसाइल. फिलहाल दुनिया के ज्यादातर देश यहां तक कि भारत भी हाइपरसोनिक ग्लाइड पर ध्यान दे रहे हैं. असल में इन ग्लाइड व्हीकल्स के पीछे मिसाइल लगाई जाती है. एक तय दूरी तक करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है, उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स खुद ही दिशा और गति तय करते हुए टारगेट की तरफ बढ़ते हैं. इन हथियारों में स्क्रैमजेट इंजन होता है जो हवा मे मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल करके तेजी से उड़ता है.
फिलहाल हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं. उत्तर कोरिया के बारे में भी कहानियां आती रहती हैं लेकिन पुख्ता सबूत नहीं है. भारत भी ऐसे हथियार विकसित करने लगा है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश भी जुटे हैं. दुनिया का सबसे घातक हाइपरसोनिक हथियार रूस के पास है. इसे एवगार्ड मिसाइल कहते हैं. यह एक ICBM है. जो 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकती है.