नई दिल्ली. कोयम्बटूर ज़िले के थुडियालुर इलाक़े का यह छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गया हुआ था. साई निकेश ने 2018 में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और उसके बाद भारतीय सेना में प्रवेश के लिए दो बार कोशिशें की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.साई के रिश्तेदारों के मुताबिक भारतीय सेना में प्रवेश नहीं मिलने पर उसने अमेरिकी सेना में प्रवेश करने के रास्तों पर विचार किया, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ तो परिवार वालों ने साई को ख़ारकीएव के नेशनल एयरोस्पेस यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए भेज दिया.
यूक्रेन में लगभग 20 लाख लोगों को अपना घरबार छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ा है.
जब यूक्रेन पर रूस का हमला शुरू हुआ तो भारतीय छात्र ख़ारकीएव से बाहर निकलने की कोशिशों में जुटे हुए थे लेकिन परिवार वालों के बार-बार कहने के बाद भी साई निकेश ने वहां से बाहर निकलने की कोशिश नहीं की. जब बीबीसी तमिल ने साई निकेश के परिवार वालों से बात करने की कोशिश की, तो उन लोगों ने कहा कि इस वक्त वो मीडिया से बात करने की मानसिक स्थिति में नहीं हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की, भारत के पीएम मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
इस रिश्तेदार के मुताबिक, उसने ऐसा फ़ैसला क्यों किया, ये किसी को नहीं मालूम है. परिवार वालों को निकेश के इस क़दम की जानकारी पुलिस के खुफ़िया विभाग से मिली है.निकेश के रिश्तेदार ने बताया, “इसके बाद रक्षा मंत्रालय के खुफ़िया अधिकारियों ने परिवार वालों से मुलाक़ात करके पूछताछ की है.”रिश्तेदार का दावा है कि परिवार के लोग अभी बहुत तनाव में हैं और वे मीडिया से बात नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने बताया, “मैंने परिवार वालों से कहा कि निकेश से भी बार-बार संपर्क नहीं करें. क्योंकि ऐसी स्थिति में हम में से कोई भी नहीं जानता कि उसे कैसे वहां से निकाला जाए.”
उन्होंने यह भी बताया, “जब से यह ख़बर मीडिया में छपी है तब से हम लोग निकेश से संपर्क नहीं कर पाए हैं. मैंने उसे व्हाट्सऐप पर वॉइस नोट्स भेजा है कि घबराना नहीं है और हम लोग किसी भी स्थिति का सामना कर सकते हैं. हम लोग हर हाल में साई निकेश को सुरक्षित वापस लाना चाहते हैं.”
‘लड़का अपनी पसंद से पैरामिलिट्री में शामिल हुआ’
जब बीबीसी तमिल ने पुलिस के खुफ़िया विभाग से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन लोगों ने बताया कि जितना मीडिया में छपा है, उनके पास उतनी ही जानकारी है. खुफ़िया विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “ऐसा लग रहा है कि इस लड़के ने अपनी पसंद से पैरामिलिट्री ज्वाइन की है, हम उससे संपर्क नहीं कर पाए हैं इसलिए वहां के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है लेकिन हम लोग जानकारी जुटा रहे हैं.”
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन की आम जनता से रूसी सेना के ख़िलाफ़ युद्ध में शामिल होने की अपील की है.
उनकी इस अपील पर भारतीय सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी कर्नल आर. हरिहरन ने कहा है, “ये अपील सही है या ग़लत, इस पर हम लोग बहस नहीं कर सकते क्योंकि युद्ध अपने आप में ग़लत है. जेलेंस्की की अपील के बाद यूक्रेन के विभिन्न शहरों में लोगों को हथियार मुहैया कराए गए हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के समय में रूस ने ऐसा ही किया था.”हालांकि ज़ेलेंस्की इस युद्ध में यूरोप सहित दुनियाभर के देशों से मदद मांग रहे हैं. वे इन देशों से हथियारों की आपूर्ति करने की मदद भी मांग रहे हैं.
हरिहरन कहते हैं, “ख़बरों के मुताबिक भारतीय छात्र ने जॉर्जिया के एक स्वयंसेवी सैनिकों के समूह को ज्वाइन किया है. यह भी कहा जा रहा है कि उसकी दिलचस्पी सेना में शामिल होने में थी, ऐसे में इसे छात्र का निजी फ़ैसला ही कहा जाएगा.”