नई दिल्ली। सावन के महीने में की गई भोलेनाथ की अराधना बेहद फलयादी मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन का महीने में भोले के भक्त बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का पांचवां महीना देवों के देव महादेव का प्रिय महीना यानी सावन होता है। भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन इस वर्ष 14 जुलाई यानि गुरुवार से शुरू हो रहा है।
वैसे तो यह पूरा माह महादेव को समर्पित है, क्योंकि इस पूरे माह भगवान शंभू की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मगर सावन में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को एक अलग महत्व होता है। सावन के पहले सोमवार की बात करे तो वह 18 जुलाई को पड़ेगा। वहीं दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा 1 अगस्त और चौथा 8 अगस्त को होगा।
सावन माह में महादेव के भक्त उनको खुश करने के लिए अलग-अलग तरह से पूजा-अर्चना करते हैं, उनमें से एक है कांवड़ लाना। ज्योतिषाचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि कावड़ को सावन और फाल्गुन के महीने में लाया जाता है।
सावन के महीने में कावड़ लाने के पीछे मान्यता है कि इस माह समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था, दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष का सेवन कर लिया था। विष का सेवन करने के बाद भगवान का शरीर जलने लगा उनके शरीर को जलता देख देवताओं ने उनपर जल अर्पित करना शुरु कर दिया। जल अर्पित करने से भगवान शिव का शरीर ठंडा हो गया और उन्हें विष से राहत मिली।
उसी के बाद से सावन माह में भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाता है। भगवान शिव के भक्त उनपर जल चढ़ाने के लिए हरिद्वार, गौमुख आदि जगहों से गंगाजल लाकर उनका जलाभिषेक करते है। ज्योतिषों के अनुसार सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ का जल भोलेनाथ पर चढ़ाया था। तभी से शिवजी पर सावन माह में जल चढ़ने की परंपरा शुरु हो गई।
सावन के महीने में क्या करना चाहिए
श्रावण माह में सूर्योदय से पहले नित्य क्रिया से निवृत्त हो जाए।
पूजा स्थल को साफ कर वहां वेदी स्थापित करे।
सावन माह में शिव मंदिर में जाकर वहां दूध चढ़ाए।
इस माह महादेव का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ करे।
व्रत के दिन भगवान शिव की अराधना करे।
पूजा में तिल के तेल का दीपक जलाए और भगवान शिव को फूल अर्पित करे।
सावन माह में ऊं नम: शिवाय व्रत का जाप करे।