मेरठ. पुलिस भर्ती में कंप्यूटर रिमोट पर लेकर प्रश्नपत्र हल करने वाले अभ्यर्थियों को पुलिस की लापरवाही के चलते जमानत मिल गई है, जिस पर सिविल लाइंस थाने के दारोगा, कोर्ट परोकार और हेडमोहर्रिर की लापरवाही सामने आई है। एसआर केस होने के बावजूद भी कोर्ट में पैरवी नहीं की गई, जिस पर लापरवाह तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड की जांच में पर्दाफाश होने के बाद सत्यापन कराने आए दस अभ्यर्थियों को पुलिस ने गिरफतार कर जेल दिया। दो अभ्यर्थी पियूष और चंदन जमानत पर जेल से रिहा कर दिए।
एसपी क्राइम अनित कुमार की जांच में सामने आया कि सिविल लाइंस पुलिस को कोर्ट की तरफ से पांच बार डेट लगाकर अपना पक्ष रखने के आदेश दिए। विवेचक दिनेश प्रकाश शर्मा एक भी तारीख पर अदालत में नहीं पहुंचे। पुलिस की इसी लापरवाही के चलते दोनों अभ्यर्थियों को जमानत मिल गई। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि हेडमोहर्रिर रुपेश कुमार और कोर्ट परोकार अमित चौहान ने अदालत के आदेश को दबाकर रखा, जबकि मामला प्रदेश स्तर का होने की वजह से इन मुकदमों में एसआर (स्पेशल रिपोर्ट केस) खोली गई थी। तब भी पुलिस ने कोर्ट में मुकदमे की पैरवी नहीं है।
एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने एसपी क्राइम की जांच रिपोर्ट पर दिनेश प्रकाश, रुपेश कुमार और अमित चौहान को सस्पेंड कर विभागीय जांच के आदेश दिए।
जिन मुकदमों में एसआर खोली जाती है, उन मुकदमों की निगरानी सीओ स्तर पर होती है। अगल से पत्रावली तैयार की जाती है। उस फाइल पर पहले थाना प्रभारी के हस्ताक्षर होते है। उसके बाद सीओ और एएसपी अपनी प्रगति रिपोर्ट लिखते है। एसएसपी भी प्रगति आख्या आइजी को भेजते है। प्रगति आख्या आइजी को भेजी जाती है। उसके बाद आइजी से लेकर सीओ तक सभी मुकदमे पर नजर रखते है।
प्रदेश के 13 जनपदों में 98 केंद्रों पर 12 नवंबर 2021 में दारोगा भर्ती परीक्षा हुई थी। आनलाइन परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों के कागजों का सत्यापन रिजर्व पुलिस लाइन मेरठ में किया जा रहा था। अभ्यर्थी विकास जादौन निवासी टटारपुर पोस्ट गंगापुर हाथरस, सुरेश कुमार निवासी नंगला मंधार गांव पोस्ट कुरसंधा हाथरस, दीपक कुमार निवासी बिसावर गांव हाथरस और योगेश कुमार निवासी बिचपुरी गांव पोस्ट मुरसान हाथरस समेत दस अभ्यर्थियों के खिलाफ चार मुकदमे दर्ज किए थे। उन मुकदमों में महेश चंद्रा प्रबंधक परीक्षा केंद्र कृष्णा इन्फोटेक आगरा, दुष्यंत शर्मा आरवी ऑनलाइन इन्फोटेक आगराको भी आरोपित बनाया गया था।