नई दिल्ली: आपने अक्सर देखा होगा कि जब कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंच रही होती है तो एक कोने में बैठकर एक शख्स रजिस्टर में कुछ नोट करता रहता है। वह हर कोच को देखता है और नोट करता है। वह रेलवे कर्मचारी आखिर क्या लिखता है? क्या आपने कभी सोचा है। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर जब हमने ऐसे ही एक कर्मचारी से पूछ लिया तो उन्होंने बताया कि इसकी एक बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि ट्रेन सैकड़ों किमी की यात्रा करती है। दिन और रात में भी ट्रेन दौड़ती है। यह सिस्टम काफी पहले से चला आ रहा है कि जब कोई ट्रेन किसी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचती है तो यह सुनिश्चित करने के लिए सभी बोगी के नंबर नोट किए जाते हैं कि कहीं कोई कोच अलग तो नहीं हुआ। यहां यह भी जान लीजिए ट्रेन की यात्रा में किसी तरह की शंका को खत्म करने के लिए ही आखिरी कोच के पीछे X का निशान भी दिखाई देता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि इस ट्रेन से कोई बोगी अलग नहीं हुई है और यह आखिरी कोच है। दूर से भी कर्मचारी या आम लोग इस बात को समझ सकते हैं।
ऐसे में यह समझना भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि कोच नंबर कहां लिखा होता है, जिसके बारे में हमें भी जानना चाहिए। आमतौर पर 5 अंकों का एक नंबर कोच में ऊपर के हिस्से में दिखाई देता है। इसमें शुरू के दो अंक उस डिब्बे के बनने का साल बताते हैं और आखिर के तीन अंक यह बताते हैं कि कोच जनरल है, एसी या फिर चेयर कार।
जैसे 001 से 200 तक एसी कोच होता है। उसके बाद 400 नंबर तक स्लीपर कोच को दर्शाया जाता है। अगली बार आप किसी प्लेटफॉर्म पर बोगी का नंबर 98337 देखें तो समझ जाइएगा कि यह डिब्बा 1998 में बना है और आगे के तीन अंक 200-400 के बीच होने के कारण यह स्लीपर डिब्बा है। इसी तरह 400-600 के बीच जनरल डिब्बे को प्रदर्शित किया जाता है। 600-700 नंबर चेयर कार को दर्शाते हैं। पांच अंकों में आखिर के 700 से 800 के बीच नंबर वाले सिटिंग और सामान वाले कोच को दर्शाते हैं।