भारत में मौजूद ब्रिटिश सरकार की समाचार सेवा BBC के दफ्तरों पर आयकर विभाग ने बड़े स्तर पर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है. छापेमारी की वजह टैक्स में गड़बड़ी को बताया जा रहा है. आयकर विभाग ने दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के दफ्तरों पर मंगलवार की दोपहर से छापेमारी शुरू कर दी थी, जो अभी तक चल रही है. ऐसे में कई लोग जानना चाहते हैं कि आखिर आयकर विभाग रेड या छापेमारी कैसे करता है? इसकी प्रक्रिया क्या होती है?
आयकर विभाग किसी भी सर्वे, रेड या छापेमारी की कार्रवाई को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132 के तहत अंजाम देता है. यह एक्ट कर योग्य आय, कर देयता, अपील, दंड और अभियोजन तय करने में मददगार साबित होता है. इसी एक्ट में आयकर विभाग के अधिकारियों की शक्ति और कर्तव्यों को भी परिभाषित किया गया है. इस एक्ट में समय-समय पर संशोधन भी किए गए हैं.
आयकर विभाग देश के वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है. यह विभाग उन लोगों को चिन्हित करता है, जो आयकर में घपला करते हैं. मतलब कि वो लोग जिनकी आय और कर में अंतर मिलता है. या जिन लोगों पर कर चोरी का शक होता है. या जिनके पास ब्लैक मनी होने की गुप्त सूचना मिलती है, तो ऐसे सभी तरह के मामलों में आयकर विभाग छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देता है.
आयकर विभाग जब किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या किसी संस्थान या परिसर में छापेमारी की योजना बनाता है, तो उसकी यह कोशिश होती है कि किसी को इस बात की कानो-कान खबर ना हो. जिस व्यक्ति या संस्थान में छापेमारी की जानी है, उसे इस बात का जरा भी अंदाजा ना हो. ताकि उसे संभलने का मौका ना मिले. आयकर विभाग की टीम रेड के दौरान तलाशी का वारंट भी साथ लाती है. छापेमारी की कार्रवाई सुबह सवेरे या फिर देर रात में की जाती है. इस दौरान टीम के साथ पुलिस भी होती है, ताकि कार्रवाई के दौरान कोई दिक्कत ना हो. कई बार तो छापे के दौरान भारी पुलिस बल या अर्धसैनिक बल बुलाया जाता है.
जब आयकर विभाग की टीम किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या संस्थान में रेड करती है, तो सबसे पहले वो वहां मौजूद सभी लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लेती है. इसके बाद उस घर या परिसर के सभी दरवाजे बंद कर लिए जाते हैं. ताकि कार्रवाई के दौरान ना तो कई घर से बाहर जा सके और ना ही कोई अंदर आ सके. आयकर विभाग की टीम में महिला अधिकारी और कर्मचारी भी होती हैं. ताकि वे ज़रूरत पड़ने पर मौके पर मौजूद महिलाओं की तलाशी ले सकें.
जिस जगह छापेमारी की जा रही है, वहां मौजूद कैश, गहने और कीमती सामान का लेखा-जोखा और दस्तावेज की जांच की जाती है. ज़रूरत पड़ने पर आयकर विभाग की टीम उस सामान से जुड़े दस्तावेजों को अपने साथ भी ले जा सकती है.
अगर छापेमारी किसी दुकान या शोरूम में की जा रही है, तो वहां बेचने के लिए जो सामान रखा होता है, उसे आयकर अधिकारी जब्त नहीं कर सकते. लेकिन उस सामान की जानकारी कागजों पर दर्ज कर सकते हैं. साथ ही उस सामान से जुड़े दस्तावेज जब्त कर सकते हैं. अगर छापेमारी के दौरान कैश या गहने मिलते हैं और उसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास है तो अधिकारी उसे भी जब्त नहीं करते.
अगर छापेमारी के दौरान किसी जगह से अघोषित पैसा या गहने आदि मिलते हैं, जिसका हिसाब किताब या कोई दस्तावेज संबंधित व्यक्ति या संस्थान के पास उस वक्त मौजूद नहीं है, तो आयकर विभाग की टीम उसे जब्त कर सकती है. पैसा जब्त होने के बाद सीधे बैंक में जाता है और वहां सरकारी एकाउंट में जमा किया जाता है. फिर जांच में अगर टैक्स लायबिलिटी क्रिएट होती है. तो उसका एसेसमेंट होता है. एसेसमेंट के बाद जो टैक्स डिमांड निकलती है. उसे ट्रायब्यूनल में सेटल किया जाता है. इसके बाद जो पैसा बचता है, उसे पार्टी को ब्याज समेत वापस किया जाता है. कुछ मामलों में ऐसी रकम केस की सुनवाई पूरी होने तक विभाग की टीम अपने पास रखती है.
किसी भी स्थान पर छापेमारी की कार्रवाई को सफलता पूर्वक अंजाम देने के लिए आयकर विभाग के अधिकारी पूरी प्लानिंग करते हैं. इस गोपनीय कार्रवाई को इस तरह से पूरा किया जाता है कि संबंधित टीम के अलावा विभाग के लोगों को भी इसकी भनक नहीं लगती. ऐसे किसी भी ऑपरेशन के लिए सीक्रेट कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है.
छापेमारी के दौरान कोई भी व्यक्ति आयकर अधिकारियों के काम में बाधा या अवरोध नहीं डाल सकता. उनका विरोध भी नहीं कर सकता. अगर कोई आयकर विभाग की टीम का विरोध करता है या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. जहां छापेमारी की जा रही हो, वहां मौजूद सभी लोगों से अधिकारी उनके रिश्ते के बारे में पूछते हैं. सभी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज मांगते हैं. अगर संबंधित व्यक्ति के पास लॉकर है तो उसकी चाबी भी उसे देनी होगी.
घर, दफ्तर या परिसर में छापेमारी के दौरान मौजूद कोई भी शख्स किसी भी दस्तावेज को मिटाने, फाड़ने या नष्ट करने की कोशिश नहीं कर सकता. उसे कार्रवाई के दौरान मौजूद अधिकारियों के सवालों का जवाब भी देना होता है. ऐसा ना करने पर उसके खिलाफ एक्शन हो सकता है.
छापेमारी की कार्रवाई अगर घर, दफ्तर या कंपनी में की जा रही है तो, वहां रहने वाले व्यक्ति आयकर अधिकारियों से सर्च वारंट और उनके आईडी कार्ड जांच के मकसद से मांग सकते हैं. जिनके यहां छापेमारी की जा रही है, वह व्यक्ति या कंपनी गवाह के तौर पर किन्हीं दो सम्मानित लोगों को बुला सकती है. मेडिकल इमरजेंसी होने पर डॉक्टर को भी बुलाया जा सकता है.
जहां छापेमारी की जा रही है, अगर वहां बच्चें हैं और उन्हें स्कूल जाना है, तो उनके बैग की जांच कर उन्हें स्कूल भेजा जाता है. साथ ही घर या परिसर में मौजूद लोगों को नियमित और समय पर खाना खाने से भी रोका नहीं जा सकता. कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद संबंधित व्यक्ति या कंपनी को स्टेटमेंट की एक कॉपी लेने का अधिकार है. वो स्टेटमेंट ही उसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है.
छापेमारी के दौरान अगर आयकर विभाग की टीम को कुछ बड़ी गड़बड़ी के सबूत मिलते हैं या उन्हें शक होता है तो वहां मौजूद आयकर अधिकारी सख्त लहजा अपना सकते हैं और वे उस घर, परिसर या दफ्तर में सबूतों और जानकारी को हसिल करने के लिए वहां लगे ताले या दीवारों तक को तोड़ सकते हैं.