विज्ञान ने दुनिया को काफी कुछ दिया है. लेकिन क्या मानव शरीर में आत्मा होती है और अगर होती है तो मरने के बाद वह कहां चली जाती है, इस सवाल पर वह भी आज तक जवाब नहीं ढूंढ पाया है. आज हम आपको बताते हैं कि मरने के बाद आत्मा आखिर कहां चली जाती है.
दुनिया में एक सवाल हमेशा से पूछा जाता रहा कि क्या वास्तव में आत्माएं होती हैं. अगर होती हैं तो शरीर का अंत होने के बाद आत्माएं कहां चली जाती हैं. उनके साथ क्या होता है. क्या वो दूसरे शरीर के जरिए फिर से धरती पर लौटती हैं या उनकी हमेशा के लिए विदाई हो जाती है. इन सवालों पर तमाम तरह के जवाब हैं लेकिन तार्किक ढंग से आज तक कोई भी इसका उत्तर नहीं ढूंढ पाया है. यहां तक कि विज्ञान भी इस सवाल पर आकर ठहर जाता है.
विज्ञान कहता है कि बाकी चीजों की तरह मानव शरीर का भी उम्र बढ़ने के साथ क्षय होने लगता है. इंसान की उम्र 30 साल होने के बाद हर दस साल पर हड्डियों की डेंसिटी 1 फीसदी कम हो जाती है. वहीं 35 साल के बाद मानव की मांसपेशियां घटने लगती हैं. जब इंसान 80 की उम्र में पहुंचता है तो उसकी 40 फीसदी मांसपेशियां खत्म हो चुकी होती हैं, जिससे उसका शारीरिक बल बहुत कमजोर हो जाता है. उसकी कोशिकाओं का डीएनए नष्ट हो चुका होता है.
साइंटिस्टों के मुताबिक मौत होने से पहले मानव शरीर के अंग एक-एक करके काम करना बंद कर देते हैं. इससे उसके सांस लेने की प्रक्रिया पर असर पड़ने लगता है. ऐसा होने पर हार्ट काम करना बंद कर देता है, जिसके चलते अगले 5 मिनट में शरीर को ऑक्सीजन की सप्लाई होना बंद हो जाता है और इंसान की मौत हो जाती है. इस स्थिति में कोशिकाएं मरने लगती हैं, जिसे प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न कहा जाता है. हालांकि अगले 24 घंटे तक उसकी कुछ कोशिकाएं जीवित होती हैं.
इंसान के मरने के बाद क्या होता है. क्या उसमें कोई आत्मा होती है. अगर होती है तो वह कहां चली जाती है, इस मुद्दे पर विज्ञान मौन है. हालांकि देश के महान मनीषियों ने मृत्यु के बाद का राज खोला है. गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की लिखी किताब में मृत्यु से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश की गई है. उन्होंने किताब में लिखा, ‘शरीर से निकलने के बाद आत्माएं आमतौर पर कुछ समय तक विश्राम की स्थिति में होती हैं. इसके बाद वे नए जन्म को धारण करती हैं.’
भारत के महान योगियों की ओर से लिखी गई कई पुस्तकों में कहा गया है कि मौत होने पर आत्मा स्थूल शरीर से सूक्ष्म तत्व के तौर पर अलग हो जाती है. इस सूक्ष्म शरीर की बनावट ठीक स्थूल शरीर की तरह ही होती है. हालांकि यह सूक्ष्म शरीर अणुओं का बना होता है. यह सूक्ष्म शरीर किसी भौतिक क्रिया कलाप में शामिल नहीं हो सकता. अपने मृत शरीर छोड़ने के बाद भी वह आत्मा (Mystery of Soul) आस-पास ही मंडराती रहती है.