शामली। एसटीएफ मेरठ और एसटीएफ नोएडा की जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्यों ने दिल्ली से लेकर हरियाणा, देहरादून और झांसी में फ्लैट किराए पर लिए हुए है। इस खेल में 30 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप एसटीएफ के रडार पर है, जिनकी छानबीन की जा रही है। गिरोह के सदस्यों ने कई तरह के कोड वर्ड पुलिस से बचने को बनाए हुए हैं। यही नहीं कोचिंग सेंटरों की आड़ में पेपर लीक कराने का खेल चल रहा था।
एसटीएफ नोएडा के सीओ राजकुमार ने बताया कि जांच में सामने आया है कि शामली के मोनू ने दिल्ली, उत्तराखंड के देहरादून और झांसी में भी फ्लैट लिए हुए थे। वह वहीं से गिरोह को ऑपरेट कर रहा था। यही नहीं हाल ही में देहरादून में हुई सीएसआईआर की परीक्षा लीक कराने में भी वह शामिल था। गिरोह के अन्य सदस्य भी रडार पर है। मोनू के पास फाॅच्यूनर कार है। वह और गिरोह के सदस्य लग्जरी गाड़ियों में ही घूमते हैं।
मेरठ एसटीएफ के एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि बागपत से नौ दिन पूर्व पेपर लीक प्रकरण में पकड़े गए शामली के आरोपी रचित चौधरी और अन्य कोचिंग सेंटरों की आड़ में भी पेपर लीक कराने को लेकर लोगों को झांसे में ले रहे हैं। दावा किया जाता है कि वे हरियाणा, दिल्ली और अन्य स्थानों पर कोचिंग सेंटर चलाते हैं, जबकि किसी भी स्थान पर कोचिंग सेंटर नहीं चलाया जा रहा। कुछ फोटो भी कोचिंग सेंटरों के लोगों को दिखाए जाते हैं।
जहां पर पेपर लीक कराना होता है। जांच में पता चला है कि मेरठ के अलावा शामली, बागपत, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, नोएडा क्षेत्र में गिरोह के सदस्यों ने पेपर लीक कराने के लिए 30 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए हैं। सभी ग्रुप रडार पर आ गए हैं। हालांकि उक्त ग्रुपों में अभी कोई अधिक जानकारी शेयर नहीं की जा रही है। ग्रुपों के माध्यम से भी गिरोह के अन्य सदस्यों पर शिकंजा कसा जाएगा। इस संबंध में सभी जिलों के एसपी से भी सहयोग मांगा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, गिरोह के सदस्यों ने किसी भी परीक्षा को हल कराने के बदले लोगों को फंसाने के लिए कई तरह के कोड वर्ड बनाए हुए हैं। सदस्यों ने एजेंट छोड़े हुए हैं। यदि पेपर हल कराने का ठेका आठ लाख में तय किया गया तो दो लाख रुपये एजेंट के होते हैं। व्हाट्सएप पर बात करते समय गिरोह के सदस्यों ने कोडवर्ड बनाए हुए हैं, जिनमें बस इंतजार करो, काम से काम रखो, उद्धार हो जाएगा, जीत होगी, आदि शामिल है। यानी इंतजार करो का मतलब अभी सरगना से बात चल रही है, पेपर हल कराने का ठेका नहीं लिया गया है। काम से काम रखो मतलब रुपये जमा कराओ, मदद हो जाएगी। उद्धार और जीत होने का मतलब रुपये लेने के बाद अभ्यर्थी को पेपर हल कराने का भरोसा दिया जाता है।
एसटीएफ के अनुसार गिरोह के सदस्य शातिर हैं। जिस भी अभ्यर्थी को झांसे में लिया जाता है उसे बताया जाता है कि वह पोस्ट ग्रेजुएट है और अब युवाओं को पढ़ा रहे हैं। मोनू ने खुद को बी टैक पास तो रचित खुद को एमबीए पास बताया था, जबकि मोनू बीए और रचित ग्रेजुएशन पास है। गिरोह के सदस्यों को साॅफ्टवेयरों के बारे में काफी जानकारी है, जिसके कारण मोनू और रचित दोनों ही लीक कराने के लिए स्थापित की गई लैब की भी जिम्मेदारी संभालते थे। गिरोह के सदस्य पिछले 5 से लेकर 8 साल से ठगी का धंधा कर रहे हैं।
29 नवंबर 2021 को एसटीएफ ने शामली से तीन सॉल्वर गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। जिनमें मनीष, धर्मेंद्र, रवि शामिल थे। तीनों के पास से पेपर, गाड़ी बरामद की गई थी। तीनों टीईटी की परीक्षा को लीक कराने की तैयारी में थे। इनके पास से कुछ फोटो कॉपी बरामद किए गए थे। बाद में इस मामले में अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी की गई थी।
अक्तूबर 2022 में शामली में प्रारंभिक पात्रता परीक्षा के दूसरे दिन ही पहली पाली में दो सॉल्वर पकडे़ गए थे। शामली में वीवी पीजी कॉलेज और बीएसएम स्कूल में गेट पर तलाशी और जांच के दौरान दो युवक पकड़े गए थे जो मूल अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा देने आए थे।
हाल ही में एसटीएफ नोएडा ने शामली के गढ़ी रामकौर के रहने वाले मोनू कुमार को पेपर लीक कराने की कोशिश के मामले में पकड़ा है। उसके साथ बिहार के नालंदा निवासी रजनीश रंजन को भी गिरफ्तार किया गया है। इससे पूर्व 8 फरवरी को मेरठ एसटीएफ ने बागपत में यूपी पुलिस के पेपर लीक प्रकरण में गिरोह का सरगना शामली के भाज्जू गांव का निवासी रचित चौधरी को गिरफ्तार किया था।