नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन में गधों की मांग साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। वहां हर साल 40 लाख से 60 लाख गधों की मांग है। यह दुनियाभर में गधों की कुल संख्या का करीब 10 फीसदी है। कुछ साल पहले तक अफ्रीकी देशों से गधों की खाल चीन को भेजी जाती थी लेकिन वहां प्रतिबंध लगने के बाद अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान उस कमी को पूरा कर रहा है।
ब्रिटेन स्थित चैरिटी संगठन ‘द डॉन्की सैंक्चुअरी’ द्वारा 2016 में की गई एक स्टडी में पाया गया कि चीनी व्यापार की वजह से दुनिया भर में एक वर्ष में 48 लाख गधों को मौत के घाट उतारा जा रहा है और यह अधिकांशत:अफ्रीकी देशों में हो रहा था लेकिन नाइजीरिया, यूगांडा, बोत्सवाना, तंजानिया जैसे देशों में 2022 में गधे के वध पर प्रतिबंध लगने के बाद अब उसकी भरपाई पाकिस्तान-अफगानिस्तान कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया अनुसंधान संस्थान के निदेशक मुहम्मद ए. कावेश के मुताबिक, पाकिस्तान से चीन भेजी जाने वाली अधिकांश गधों की खालें गुप्त व्यापार का हिस्सा हैं।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में कराची से हांगकांग ले जाई जा रही लगभग 10 मीट्रिक टन गधों की खाल के एक शिपमेंट को जब्त कर लिया गया था। यह एक तरह से गधों की खाल की तस्करी हो रही थी, जिसमें शिपमेंट को शुरू में नमक और रूमाल ले जाने वाला घोषित किया गया था। दरअसल, चीन में खालों की इतनी बड़ी खेप का निर्यात ई जियाओ नाम की एक दवा बनाने के लिए दशकों नहीं सदियों से हो रहा है।
चीन सरकार के समर्थित चाइना डेली अखबार के मुताबिक, ई-जिआओ एक ऐसी दवा है, जिसका उत्तरी शेडोंग प्रांत में 3,000 साल का पुराना और लंबा इतिहास रहा है। इसमें कहा गया है कि यह प्रांत चीन के ई-जियाओ उत्पादन का लगभग 90% भार वहन करता है। चीनी राज्य मीडिया के अनुसार, ई-जियाओ चीन की एक “राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत” है और पारंपरिक चीनी चिकित्सा उद्योग में सबसे महत्वपूर्ण उत्पादों में से एक है।
चीन में सदियों से इस दवा का इस्तेमाल खून बढ़ाने, इम्यूनिटी बूस्ट करने और सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसे एक सुपरफूड के रूप में जाना जाता है। यह चीन में अमीरों का पसंदीदा व्यंजन रहा है और इसे महंगे उपहार के रूप में गिफ्ट के तौर पर दिया जाता रहा है। चीनी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में इस दवा की कीमत में 30 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। आज के समय में 500 ग्राम ई जियाओ की कीमत 100 युआन से बढ़कर 2986 युआन यानी 35,190 रुपये हो गई है।
चीनी मीडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में 1992 में 1.10 करोड़ गधे थे जो अब 80 फीसदी गिरकर करीब 20 लाख रह गए हैं। गधों की संख्या में आई इसी कमी की वजह से ई जियाओ उद्योग ने विदेशों से गधों की खाल खरीद को प्रेरित किया है। गधों की खाल को सुखाकर निर्यात किया जाता है फिर चीन में ई-जियाओ उद्योग में उसे उबाला जाता है, जिससे एक खास किस्म के पेय पदार्थ बनता है। उसके मांस से दवा बनाई जाती है और बाद में खाल के अवशेष से कैंडी, केक और कई सौंदर्य सामग्री बनाई जाती है।