नई दिल्ली। जब आपके पेट में चूहे कूद रहे हों, तो ऐसा लगता है कि एक झटके में सामने खाना आ जाए, लेकिन कई बार जब आप ट्रैवल कर रहे होते हैं, रात में जब रेस्टोरेंट बंद हो, या फिर ऐसी वीरान जगह पहुंच जाते हैं जहां आसपास खाने-पीने की चीजें मौजूद न हो, तो भूख की शिद्दत को बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन क्या थोड़ी देर के लिए इस परेशानी को नजरअंदाज किया जा सकता है?
हम में से ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि अगर भूख के दौरान फूड आइटम्स की फोटो देखते हैं को इससे भूख बढ़ जाती है, लेकिन नई रिसर्च कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. Appetite नामक जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक भोजन की तस्वीरें बिल्कुल उल्टा असर डाल सकती हैं, लेकिन यहां एक चीज है कि ये सिर्फ़ तभी सच होता है जब वही फोटो 30 से ज्यादा बार देखी गई हो.
स्टडी के लीड ऑथर जार्क एंडरसन ने कहा, ‘हमारे प्रयोगों में, हमने दिखाया कि जब प्रतिभागियों ने 30 बार एक ही खाने की तस्वीर देखी, तो उन्हें उससे पहले की तुलना में अधिक खुशी महसूस हुई, तस्वीर को कई बार देखने वाले प्रतिभागियों ने कम भोजन की मात्रा चुनी थी जो सिर्फ तस्वीर को तीन बार ही देखने वाले लोगों से कम थी, जब हमने बाद में भोजन की मात्रा के बारे में उनसे पूछा’ ये जानना अजीब लग सकता है कि अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों ने खाना नहीं खाया फिर भी पेट भरा महसूस कर रहे थे, एंडरसन ने कहा, ‘हमारी भूख हमारी कोगनेटिव परसेप्शन से अधिक गहरी तालमेल रखती है, जैसा कि बहुत से लोग सोचते हैं. हम अपने भोजन के बारे में कैसे विचार रखते हैं, ये बहुत अहम होता है.’
ऑरहस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इस स्टडी के नतीजों को ब्रेन रिसर्स में ग्राउंडेड कोगनीशन थ्योरी से समझा जा सकता है. इस सिद्धांत के प्रभावों का स्पष्टीकरण करने के लिए, यह कल्पना करें कि आप एक कच्चे आम के टुकड़े में थोड़ी सी नमक और मिर्च छिड़के चबा रहे हैं. इस सिद्धांत के अनुसार, इस स्टिमुलस को ब्रेन के उसी एरियाज में महसूस किया जाता है, ऐसा लगता है कि आप सच में आम खा रहे हों. जार्क एंडरसन ने कहा, ‘आपकोवही साइकोलॉजिकल रिस्पॉन्स मिलेगा जो आप सोचेंगे, इसलिए हम बिना खाए भी पूरी तरह सटिस्फाई महसूस करते हैं.