देहरादून। उत्तराखंड का अंकिता भंडारी मर्डर केस पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच अंकिता के रिश्तेदारों ने दावा किया है कि अंकिता को अपनी पहली सैलरी भी नहीं मिल पाई थी और उससे पहले ही उसकी हत्या हो गई। बता दें कि अंकिता भंडारी का शव 7 दिन बाद ऋषिकेश से शनिवार को बरामद किया गया था। SDRF ने चिल्ला नहर से इस शव को बरामद किया था और अंकिता के पिता ने उसके शव की शिनाख्त की थी। इस केस के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य की गिरफ्तारी हो चुकी है और पुलकित के पिता विनोद आर्य और भाई डॉ अंकित आर्य को बीजेपी पार्टी से निष्कासित कर चुकी है।
अंकिता के रिश्तेदारों का कहना है कि उसने 28 अगस्त को रिजॉर्ट में ज्वाइन किया था। उसने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पढ़ाई को छोड़ने और नौकरी करने का फैसला किया था। 28 अगस्त को रिजॉर्ट की एक कार उसे लेने आई थी। रिजॉर्ट में उसे एक कमरा मिला था, जहां वह रह सकती थी। उसे 10 हजार रुपए प्रति माह की सैलरी बतौर रिशेप्सनिस्ट ऑफर की गई थी। लेकिन पहली सैलरी मिलने से पहले ही उसकी हत्या कर दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19 साल की अंकिता ने 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली थी और वह कॉलेज जाना चाहती थी। लेकिन पिता की नौकरी छूटने के बाद अंकिता ने बीते महीने के आखिर में ये फैसला लिया कि वह एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करेगी। इस रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य है, जोकि गिरफ्तार हो चुका है। पुलकित पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य का पुत्र है। अंकिता ने अपने घर के आर्थिक हालात को देखते हुए ये फैसला किया था कि वो नौकरी करेगी।
अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में डीजीपी अशोक कुमार ने कई चौंका देने वाले खुलासे किए थे। डीजीपी अशोक कुमार की मानें तो बीजेपी नेता का बेटा और रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता भंडारी पर अपने भाई अंकित आर्य को स्पेशल सर्विस देने के लिए दबाव बनाया था। डीजीपी अशोक कुमार के कहा था कि अंकिता भंडारी के मोबाइल से मिले स्क्रीनशॉट से पुलिस को कुछ अहम सबूत मिले हैं। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि अंकिता पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इसी गलत काम के दबाव को लेकर आपस में झगड़ा हुआ होगा और उसके बाद इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया।