आगरा : मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के यौन क्लीनिक में आने वाले 65 फीसदी युवा गहरे तनाव के मरीज मिले। इसे कम करने की दवा और काउंसिलिंग से उन्हें राहत मिली।
मनमाफिक नौकरी नहीं मिलने, वेतन या अन्य वजह से तनाव हुआ। इससे यौन क्षमता प्रभावित होने से ताने भी सहे। इससे तनाव और गहरा हो गया। खुद में मर्दाना कमजोरी समझ नीम-हकीम तक जा पहुंचे। स्थिति वही रहने पर परिचित की सलाह पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय पहुंचे। यहां डॉक्टरों को 95 फीसदी में कोई कमजोरी ही नहीं मिली। तनाव कम करने की दवा और काउंसलिंग से लोग पूरी तरह ठीक हो गए।
ताजनगरी आगरा में संस्थान निदेशक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि अध्ययन में पाया कि महज पांच फीसदी में ही यौन क्षमता की कमजोरी मिली। इसकी भी वजह टीबी, मधुमेह, खराब फिटनेस और अन्य जन्मजात बीमारियां रहीं। दरअसल, यौन संबंधों का मस्तिष्क से सीधा संपर्क है। संस्थान की वैवाहिक और मानसिक यौन क्लीनिक में 10-15 नए मरीज आते हैं।
पूछताछ में ये यौन क्षमता कम होना, यौन संबंध में सफल न होना समेत अन्य परेशानी बताते हैं। इनमें 25-40 साल के 60-65 फीसदी मरीज होते हैं। 70-80 फीसदी तो नीम-हकीम और झोलाछाप से इलाज करा लिया। मर्ज बढ़ने पर गहरे तनाव और अवसाद में मिले। काउंसिलिंग में बताया कि यौन क्षमता का सीधा संपर्क मस्तिष्क से है। खुश रहने, व्यस्त रहने और साथी से मधुर संबंध रखने को भी कहा। इससे वे पूरी तरह से ठीक भी हुए।
निदेशक ने बताया कि मरीज आने पर मधुमेह, टीबी समेत अन्य संभावित गंभीर रोग की जांच भी कराई जाती है। बीमारी की पुष्टि पर विशेषज्ञ से इलाज कराने को कहते। कोई बीमारी नहीं मिलने पर तनाव, अवसाद कम करने की दवा देते हैं। काउंसिलिंग भी करते। 5-7 दिन में इसका असर दिखने लगता और मरीज का आत्मविश्वास बढ़ता है।
निदेशक ने बताया कि विशेषज्ञों के पास नहीं पहुंचने पर पति-पत्नी के संबंध बेहद खराब होने लगते हैं। तलाक तक की नौबत आ जाती है। परिवार परामर्श केंद्र में औसतन हर 5 में से एक मामला ऐसा ही होता है। इस पर चिकित्सकीय परामर्श भी लेते हैं और यहां मरीज भी भेजते हैं।
उपर्युक्त कारणों से यौन क्षमता प्रभावित हो रही है। मरीजों में 20-35 साल के 40-45 फीसदी मरीज हैं। इनका वजन बढ़ा हुआ है। फास्ट फूड भी खाते हैं। पूरे दिन एक-डेढ़ किमी भी पैदल नहीं चलते हैं। 6-8 घंटे बैठकर कार्य करते हैं। लंबे समय तक ऐसी स्थिति से मांसपेशियां और नस कमजोर होने लगती हैं। रक्त संचार भी प्रभावित होने लगता है। फिटनेस सुधारने और दवा से मरीज तेजी से ठीक होता है।
ये करने से मिलेगा लाभ
3-5 किमी रोज पैदल चलें, साइकिल चलाएं।
वजन, मधुमेह नियंत्रित रखें, फास्ट फूड से पेट न भरें।
तनाव लंबे समय तक हो तो चिकित्सक से इलाज लें।
40 मिनट बैठने के बाद टहलें, वार्मअप करें।
फल, हरी तरकारी, दाल और सलाद अधिक खाएं।
धूम्रपान, शराब, गांजा समेत अन्य नशा न करें।
अपने साथी से मधुर संबंध रखें, एकदूसरे की प्रशंसा करें।