इस्लामाबाद: आतंकवाद को पैदा करने वाला देश पाकिस्तान अब खुद ही इस आतंकवाद से परेशान है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि राजदूत आसिफ दुर्रानी ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान को भारत से तीन युद्धों की तुलना में अफगानिस्तान की आंतरिक स्थिति के कारण ज्यादा नुकसान हुआ है। दुर्रानी इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज इस्लामाबाद की ओर से एक कार्यक्रम ‘उभरते भूराजनीतिक परिदृश्य में पाकिस्तान’ पर बोल रहे थे।
दुर्रानी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के पिछले दो दशकों में 80,000 से ज्यादा पाकिस्तानी मारे गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी भी अपने मृतकों और घायलों की गिनती कर रहा है। उन्होंने कहा कि नाटों सेना की वापसी के बाद आशा थी कि अफगानिस्तान में शांति से पूरे क्षेत्र में शांति होगी। हालांकि ऐसी उम्मीदें अल्पकालिक थीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बॉर्डर इलाकों में आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हमलों में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि आत्मघाती हमले 500 फीसदी बढ़े हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करते हुए टीटीपी के हमले लगातार बढ़ रहे हैं, जो पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इन हमलों में अफगान नागरिकों की भागीदारी एक और चिंता का विषय है।’ उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को किस प्रकार नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सोवियत संघ की ओर से अफगानिस्तान पर हमले के बाद से पाकिस्तान को भूराजनीतिक रूप से नुकसान झेलना पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका के 9/11 के हमले के बाद विश्व व्यवस्था ने पाकिस्तान पर नकारात्मक प्रभाव डाला।
कितना हुआ पाकिस्तान को नुकसानदुर्रानी ने कहा कि 8000 कानून प्रवर्तन एजेंसी के कर्मियों के साथ-साथ 80,000 नागरिकों की जान गई। वहीं उन्होंने पाकिस्तान को 150 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को गैर-नाटो सहयोगी के रूप में नामित किया गया, इसके बावजूद नाटो सदस्यों ने यात्रा से जुड़ी एडवायजरी लागू की, जिसका देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इस कारण व्यापार महंगा हो गयाऔर बीमा लागत बढ़ गई, जिससे पाकिस्तान का निर्यात स्थिर रहा।