नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति में जेवरात पहनने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. चाहे महिला हो या पुरुष, आपको दोनों ही सोने-चांदी के जेवर पहने दिख जाएंगे. विशेषकर महिलाएं सोने के जेवर पहनना ज्यादा पसंद करती हैं. लेकिन क्या आपने आज तक किसी महिला को पैरों में सोने के जेवरात पहने देखा है. कभी नहीं. आखिर ऐसा क्या कारण है कि महिलाएं पैरों में सोने के जेवर नहीं पहनती. चलिए आज इस रहस्य से हम परदा उठा ही देते हैं और पैरों में सोना न पहनने की सही वजह बताते हैं.
सनातन धर्म के मुताबिक सोने से निर्मित धातुओं का कमर से नीचे पहनना वर्जित माना गया है. उन्हें केवल कमर के ऊपरी हिस्से में पहना जा सकता है. इसकी एक नहीं, 2 वजहें हैं. पैरों में सोना न पहनने की पहली वजह वैज्ञानिक है. इसके मुताबिक मानव की शारीरिक बनावट कुछ ऐसी होती है कि उसके शरीर के ऊपरी भाग को ठंडक और निचले हिस्से को गर्माहट ही जरूरत होती है. चूंकि सोने के बने जेवरात शरीर में गर्मी को बढ़ाते हैं. इसलिए उन्होंने पैरों में पहनने से आपके शरीर को नुकसान हो सकता है. ऐसे में पैरों में सोने के बजाय चांदी के आभूषण धारण किए जाते हैं, जिससे कि शरीर का तापमान संतुलित बना रहे.
वहीं पैरों में सोने से बने आभूषण न पहनने के पीछे दूसरी बड़ी वजह धार्मिक है. मान्यता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को सोना अत्यंत प्रिय है. इसलिए इसे नाभि यानी कमर से नीचे पहनने की मनाही है. अगर आप पैरों में सोने से जेवरात धारण करते हैं तो इससे प्रभु विष्णु और मां लक्ष्मी का अपमान समझा जाता है. ऐसा करने वे दोनों नाराज हो सकते हैं. जिससे आपके घर की सुख शांति और धन समृद्धि दोनों चली जाती हैं.
पैरों में सोना न पहनने की एक वजह यह है कि धूल-मिट्टी में पड़ने की वजह से वह गंदा हो सकता है, जिससे उसकी स्वाभाविक चमक खोने का खतरा होता है. जबकि कमर के ऊपर यानी गर्दन, नाक, गले में उसे धारण करने से वहां ऐसा जोखिम नहीं होता. इसके साथ ही कमर के ऊपर सोना पहनने से इंसान के चेहरे की रौनक उभर उठती है, जबकि पैरों में पहनने से ऐसा कुछ नहीं होता.