कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों एकादशी को अन्न नहीं खाना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से बड़े-बड़े यज्ञ करने जैसा फल मिलता है। यह विचार ज्योतिषाचार्य टीआर मैत्रेय ने आमलकी एकादशी के महत्व के बारे में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि एकादशी का व्रत करने वाला दशमी को एक समय भोजन करें और एकादशी को निराहार रहें, जबकि द्वादशी को भी एक समय भोजन करें, इस प्रकार व्रत करने वाला महापापी भी मोक्ष को प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि आमलकी एकादशी, जिसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जोकि इस बार 14 मार्च को रहेगी। आमलकी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि और पुष्य नक्षत्र योग बन रहे हैं। ऐसे में जो भी इस दिन व्रत रखेगा उसके सारे कार्य सफल होंगे और उस पर भगवान विष्णु की कृपा बरसेगी।
उन्होंने कहा कि इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर विष्णु स्त्रोत का पाठ तथा आंवले की टहनी को कलश में स्थापित करके पूजन करना चाहिए। पूजन के उपरांत आंवलों सहित भोजन का दान व सेवन करना अति उत्तम होता है, पापों का क्षय तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा कर उन पर आंवला चढ़ाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि आंवले के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। ऐसे में इस दिन यदि आंवले के वृक्ष की पूजा की जाए तो सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आमलकी एकादशी के दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ के नीचे आसन बिछाकर घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाए तो एक हजार गायों के दान के बराबर फल प्राप्त होता है। मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले लोगों को आमलकी एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।