दिल्ली। सार्वजनिक जगहों पर खड़ी या शहर की सड़कों पर चलने वाली आयु सीमा पार कर चुकी गाड़ियों को दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग मालिक के लिखित वचन (अंडरटेकिंग) पर एक बार छोड़ा सकता है। लेकिन उल्लंघन दोबारा होने पर इन्हें स्क्रैप कर दिया जाएगा, यानी कबाड़ में भेज दिया जाएगा।
दिल्ली सरकार नए दिशा-निर्देश लेकर आई है ताकि पुरानी या एंड-ऑफ-लाइफ (अपनी उम्र पूरी कर चुकी) गाड़ियों को रोका जा सके। इनमें 15 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां और 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल से चलने वाली गाड़ियां शामिल हैं। इन्हें प्रदूषणकारी माना जाता है और इन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
दिल्ली, 2024 में सार्वजनिक स्थानों पर एंड-ऑफ-लाइफ हो चुकी गाड़ियों को संभालने के लिए दिशानिर्देश” के अनुसार, जो मंगलवार से लागू हुआ, एक आयु सीमा पार कर चुकी गाड़ी, जिसे राजधानी में किसी प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जब्त किया गया है, उसे सिर्फ दो शर्तों में छोड़ा जा सकता है। पहला, या तो मालिक परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने और उसे एनसीआर सीमा से बाहर किसी अन्य राज्य में पंजीकृत करने के लिए सहमत हो, या दूसरा, उसे किसी निजी जगह पर खड़ा रखे।
दोनों ही स्थितियों में, गाड़ी को जुर्माना अदा करने पर ही एक बार छोड़ा जाएगा। जो कि कार के लिए 10,000 रुपये और दोपहिया वाहन के लिए 5,000 रुपये और मालिकों का लिखित वचन होगा। वाहन जब्त होने के तीन सप्ताह के भीतर आवेदन करना होगा। अगर मालिक गाड़ी को निर्दिष्ट निजी पार्किंग में रखने का फैसला करता है, तो गाड़ी को टोविंग वाहन द्वारा ले जाना होगा।
अगर गाड़ी को फिर से सड़क पर या सार्वजनिक जगह पर पाया जाता है, तो उसे अधिकारियों द्वारा स्क्रैप कर दिया जाएगा। अब कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत जब्त वाहनों को मालिकों को वापस किया जा सकता है।
अगर गाड़ी किसी अन्य राज्य में पंजीकृत है, तो मालिक को यह बताना होगा कि उसे छुड़ाने के लिए राजधानी में क्यों लाया गया था। अगर उल्लंघन दोबारा होता है, तो गाड़ी को कबाड़खाने में भेज दिया जाएगा।
2018 में सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र से अपनी उम्र पूरी कर चुकी गाड़ियों को हटाने का निर्देश दिया था। जिसके बाद, परिवहन विभाग ने पिछले साल मार्च में एक व्यापक अभियान शुरू किया था ताकि उन गाड़ियों को जब्त किया जा सके जिन्होंने अपना लाइफ पूरा कर लिया था। और उन्हें स्क्रैप करने के लिए भेजना शुरू किया गया था।
यह अभियान परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के निर्देशों के बाद अगस्त में रोका गया था जिन्होंने इस अभियान को “हस्तक्षेपकारी” और “सरकारी स्वीकृति से रहित” बताया था।
यह मामला अदालत में गया, जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्क्रैप करने के लिए अधिकारियों द्वारा जब्त की गई “एंड ऑफ लाइफ” गाड़ियों को कुछ शर्तों के साथ छोड़ने का आदेश दिया। मालिकों को गाड़ियों को स्थायी रूप से निजी स्थान पर रखने या उन्हें दिल्ली-एनसीआर से बाहर स्थानांतरित करने और शहर की सीमा के भीतर नहीं चलाने का लिखित वचन देना पड़ा था। परिवहन विभाग द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों में अब भी यही शर्तें हैं।
अधिकारियों के अनुसार, प्रवर्तन एजेंसियां एंड ऑफ लाइफ हो चुकी गाड़ियों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए नियमित अभियान चलाएंगी। और पर्यावरण विभाग को एक दैनिक रिपोर्ट पेश करेंगी जिसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भेजा जाएगा।
वाहन मालिक, जो अपने एंड ऑफ लाइफ हो चुके वाहनों को एनसीआर से बाहर भेजना चाहते हैं, उन्हें पंजीकरण समाप्त होने के एक साल के भीतर परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना होगा।
पॉलिसी के मुताबिक, प्रवर्तन एजेंसी, पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं और वाहन मालिकों के बीच प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा। इसमें आगे कहा गया है कि एंड ऑफ लाइफ हो चुकी गाड़ियों के स्क्रैप मूल्य की गणना उसके लौह अयस्क घटक के मूल्य के 90 प्रतिशत के रूप में की जाएगी। एक वाहन के कुल वजन का पैंसठ प्रतिशत लौह अयस्क के रूप में अनुमानित है।