नई दिल्ली। संसदीय सीट दिल्ली की हाई प्रोफाइल सीट है। भाजपा ने दांव बांसुरी स्वराज पर लगाया है। पेशेे से वकील बांसुरी इस समय नई दिल्ली की गली-गली घूम रही हैं। उनके चुनावी अभियान में स्थानीय के साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित है। वे जितनी प्रमुखता से नई दिल्ली की सफाई व्यवस्था, महिला सुरक्षा, पार्किंग, प्रदूषण आदि की बात करती हैं, उसी तरह आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना समेत केंद्र सरकार की दूसरी विकास योजनाएं उनके लिए बड़ा मुद्दा है। हाजिर जवाब बांसुरी सकारात्मक प्रचार करने की पक्षधर हैं। फिर भी, मौका मिलने पर विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने से भी नहीं चूकतीं।
महिला सुरक्षा नई दिल्ली के लिए बड़ा मुद्दा है। इसे कैसे देखती हैं। स्वाति का मामला भी इस वक्त चर्चा में है? जब तक कानून का भय न हो, अपराध नहीं रुकता। नए कानून लागू होने से बड़ा बदलाव नजर आएगा, जहां तक स्वाति मालीवाल का सवाल है, मुख्यमंत्री आवास में हुई यह घटना आत्मा को कचोटती है। कैसे एक मुख्यमंत्री के आवास में उसकी ही पार्टी की राज्यसभा सांसद से मारपीट होती है। आरोपी को दंडित करने की जगह पूरी पार्टी बचाव में खड़ी दिखती है। बड़ा सवाल यही है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल जब अपने ही आवास पर अपनी पार्टी की सांसद के साथ हुई बदसलूकी पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं, तो दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेंगे।
नई दिल्ली क्षेत्र की पांच बड़ी समस्याएं हैं। इसमें सफाई, पार्किंग, सीवेज, पानी व प्रदूषण प्रमुख हैं। यहां ओपन स्टैक पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। जाम लगने वाले क्षेत्रों को चयनित कर समस्याएं से निजात दिलाई जाएगी। प्रदूषण भी बड़ा मुद्दा है। यह मुद्दा उठाया भी। दिल्ली सरकार ने दस साल में कोई कार्य नहीं किया। सांसद चुने जाने पर इन समस्याओं का सबसे पहले निवारण करूंगी। इस भरोसे के लिए कि भाजपा जो कहती है, वह पूरा करती है। इसलिए भी देश को विकसित राष्ट्र बनाना है। नए भारत के निर्माण के लिए लोग हमें वोट देंगे।
दो चीजें हैं। एक तो केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाएं दिल्ली सरकार लागू नहीं कर रही है और दूसरी स्थानीय समस्याएं, जिन्हें दस साल से दिल्ली में राज कर रही केजरीवाल सरकार को ठीक करना था। दोनों पर काम करूंगी। दिल्ली और केंद्र के संबंधों में बड़ा मुद्दा केंद्रीय योजनाओं का दिल्ली में लागू न हो पाना है। बड़ी दिक्कत आयुष्मान योजना के तहत है, जिसे केंद्र सरकार ने इस भरोसे के साथ लाई थी कि विपत्ति के समय देश के जरूरतमंद लोगों को पांच लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज मिलेगा, लेकिन राजनीतिक दुर्भावना से दिल्ली सरकार ने इसे लागू नहीं किया। चुनाव जीतने के बाद देश के दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली में भी केंद्रीय योजनाओं को लागू कराने की कोशिश होगी। राजनीतिक स्तर पर अगर काम नहीं हुआ तो, वकील होने के नाते अदालत जाना पड़ेगा।