लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्थानीय नगरीय निकाय चुनाव में एक महीने से भी कम का समय बचा है. दो चरण में होने वाले इन चुनावों के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली हैं. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजभर की सुभासपा ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. वहीं, कुछ सीटों पर नामों का ऐलान होना बाकी है. चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण में 9 मंडलों में 4 मई को मतदान होगा. वहीं, दूसरे चरण में भी 9 मंडलों में 11 मई को वोटिंग होगी. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पकड़ मजबूत मानी जा रही है.
निकाय चुनावों में बीजेपी के मजबूत होने के पीछे की वजह शहरों में सामान्य वर्ग के वोटर्स की संख्या है. ऐसा माना जाता है कि सामान्य वर्ग के तहत आने वाली जातियों के वोटर्स बीजेपी को वोट करते हैं और शहरों में ऐसे वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है. यही कारण है कि बीजेपी के नेताओं के चेहरों पर मुस्कान देखने को मिल रही है. वहीं, एससी, एसटी और ओबीसी वोट बैंक की वकालत करने वाली पार्टियों की टेंशन बढ़ गई है.
यूपी में करीब 250 जातियां हैं. इसमें सामान्य वर्ग के तहत आने वाली जातियों में ब्राम्हण, राजपूत, क्षत्रिय, ठाकुर, कायस्थ, भूमिहार, बरनवाल और खंगार शामिल हैं. वहीं, अनुसूचित वर्ग में 72, ओबीसी में 162 और एसटी वर्ग में 6 जातियां आती हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. इस रिपोर्ट के आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि शहर में रहने वाली जातियों की संख्या को प्रतिशत में दर्शाया है.
नगर निगम क्षेत्र सामान्य एससी एसटी ओबीसी
कानपुर 68.82 12.33 0.11 18.74
लखनऊ 68.00 16.68 0.20 18.86
प्रयागराज 64.78 17.57 7.02 19.56
मुरादाबाद 64.10 10.45 0.22 25.37
बरेली 62.44 7.87 0.31 29.38
अलीगढ़ 59.30 21.34 0.03 20.84
अयोध्या 56.75 14.20 0.12 21.84
मथुरा-वृंदावन 56.04 17.57 0.08 26.25
गोरखपुर 55.30 9.90 0.38 34.42
गाजियाबाद 54.25 16.85 0.18 14.56
वाराणसी 48.65 16.61 7.02 25.87
शाहजहांपुर 47.82 10.45 0.12 37.02
मेरठ 46.74 21.82 0.39 36.82
झांसी 45.77 21.83 0.33 32.08
सहारनपुर 45.16 16.22 15.82 0.40
फिरोजाबाद 43.89 12.33 15.82 0.12
आगरा 34.69 23.54 8.16 22.29
उत्तर प्रदेश में इस बार नगर निगम के 17 सीटों पर मेयर का चुनाव होना है. इन 17 सीटों के तहत आने वाले शहरों में सामान्य वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है. इनमें 10 शहर ऐसे हैं जहां सामान्य वर्ग के जातियों के तहत आने वाले लोगों की संख्या 50 परसेंट से ज्यादा है. यही कारण है कि इन शहरों मे बीजेपी का पलड़ा भारी माना जा रहा है. वहीं, पिछड़ी जातियों की संख्या कम होने से विपक्षी पार्टियों की परेशानी बढ़ गई है. साथ ही बिखरे वोट बैंक को एकत्रित करने के लिए सभी पार्टियां अपने स्तर पर प्रयास में जुट गई हैं. इसी कड़ी में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी की आरएलडी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उनकी नजर ओबीसी वोट बैंक पर है.
पिछली बार के नगर निगम चुनावों में 16 सीटों में से 14 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के मेयर उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. वहीं, दो पर बहुजन समाज पार्टी को जीत हासिल हुई थी.