दिल्ली नगर निगम चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने परचम लहरा दिया है। दिल्ली में पहली बार AAP का मेयर बनने जा रहा है। आधे से ज्यादा वार्डों पर आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज कर ली है। वहीं, कई सीटों पर आप की बढ़त बनी हुई है। जीत के बाद सीएम केजरीवाल ने पार्टी कार्यालय में अपने संबोधन में दी चीजें मांगी हैं।
अरविंद केजरीवाल ने नगर निगम में AAP की जीत के बाद संबोधन में कहा कि उन्होंने मुझे बिजली पानी की जिम्मेदारी दी है, हमने उसे ठीक किया है। अब नगर निगम की जिम्मेदारी दी है हम रात दिन काम करेंगे, नगर निगम को ठीक करेंगे, कूड़े की समस्या दूर करेंगे, और भ्रष्टाचार दूर करेंगे। हम भाजपा और कांग्रेस के साथ मिलकर नगर निगम ठीक करेंगे। उनका भी हम सहयोग मांगते हैं। केंद्र और प्रधानमंत्री का भी सहयोग मांगते हैं, हम सब मिलकर दिल्ली को ठीक करेंगे। हम सब भ्रष्टाचार दूर करेंगे।
मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली MCD में आम आदमी पार्टी पर भरोसा करने के लिए दिल्ली की जनता का दिल से आभार। दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे नेगेटिव पार्टी को हराकर दिल्ली की जनता ने कट्टर ईमानदार और काम करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिताया है। हमारे लिए ये सिर्फ जीत नहीं बड़ी ज़िम्मेदारी है।
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि मैं सब लोगों को कहना चाहता हूं कि हम गाली गलौज करने नही आए हैं। हमें कोई भी उकसाए हम गाली गलौज नही करेगें। हमने मुद्दों पर चुनाव लड़ा है। मैं अपने लोगों से कहना चाहता हूं कि कोई अहंकार नहीं करना है। सभी अपने-अपने इलाके में जाएंगे और शांतिपूर्वक जश्न मनाएंगे।
आम आदमी पार्टी बहुमत के साथ जीत दर्ज करेगी। चुनाव आयोग द्वारा साझा किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, 250 वार्डों में से 134 वार्डों पर आम आदमी पार्टी जीत गई है। पिछले 15 सालों यानी 2007 से एमसीडी पर राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस के 9 और निर्दलीय 3 उम्मीदवार जीत गए हैं।
अंतिम परिणाम के आने से पहले ही आम आदमी पार्टी कार्यालय जीत का जश्न शुरू हो गया है। अरविंद केजरवाल भी कार्यालय पहुंच गए हैं। ऑफिस के बाहर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा हुआ है और जोर-जोर से नारे लगा रहे हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में 250 वार्डों के लिए 4 दिसंबर को मतदान हुआ था, जिसमें लगभग 50 प्रतिशत मतदान हुआ था और कुल 1,349 उम्मीदवार मैदान में थे। हालांकि, कम वोटिंग टर्नआउट प्रो-इंकंबेंसी का संकेतक साबित नहीं हुआ।