कैराना (शामली)। जनवरी 1992 में यूपी रोडवेज की बस लूट के आरोपी उधम सिंह करनावल और सिराजू उर्फ सिराजुद्दीन को पुलिस ने तमंचों के साथ गिरफ्तार किया था। तमंचे बरामदगी में 21 पुलिसकर्मी गवाह थे। जिनमें से 19 पुलिसकर्मियों की गवाही नहीं होने पर कोर्ट ने उनके नाम वारंट और नोटिस जारी कर दिए। लेकिन अधिकांश पुलिसकर्मियों की तैनाती के बारे में जानकारी नहीं है।
1992 में कैराना के कांधला स्टैंड से दिल्ली तक सुबह छह बजे यूपी रोडवेज जाती थी और शाम को वापस आती थी। जनवरी 1992 में ऊंचा गांव के पास बस को तीन बदमाशों ने तमंचों के बल पर लूट लिया था। कुछ दिन बाद पुलिस ने बस लूट में उधम सिंह करनावल व सिराजू उर्फ सिराजुद्दीन तथा एक अन्य को तमंचे के साथ गिरफ्तार किया था। हथियार बरामदगी के मामले में तब कोतवाली में तैनात 21 पुलिसकर्मी गवाह थे। बस लूट के मुकदमे में प्राइवेट गवाह पक्षद्रोह हो गए। जबकि तमंचा बरामदगी के मुकदमे में 21 पुलिसकर्मी गवाह थे।
31 साल में केवल दो पुलिसकर्मियों की ही कोर्ट में गवाही हुई है। बाकी 19 पुलिसकर्मियों के बारे में पता नहीं है कि उनकी तैनाती कहां है या वे रिटायर हो गए हैं। शुक्रवार को उन्नाव जेल में बंद उधम सिंह करनावल की कैराना कोर्ट में पेशी थी। सिराजु उर्फ सिराजुद्दीन भी नोएडा जेल में बंद है। पुलिसकर्मियों की हथियार बरामदगी के मुकदमे में अभी तक गवाही नहीं होने के चलते कोर्ट ने 19 पुलिसकर्मियों के वारंट जारी कर दिए।
इसके अलावा सीआरपीसी 350 के तहत सभी 19 पुलिसकर्मियों को नोटिस भी जारी कर दिए। अब पुलिस को उन सभी 19 पुलिसकर्मियों की तैनाती व रिटायर होने की दशा में उनके घर का पता लगाना होगा। जिससे वारंट और नोटिस तामील कराए जा सके। साथ ही पुलिसकर्मी की मृत्यु होने की दशा में उसका मृत्यु प्रमाणपत्र भी कोर्ट में रखना होगा। कोतवाली प्रभारी ने अदालत से पुलिसकर्मियों के नाम वारंट व नोटिस जारी करने की पुष्टि की है।