देश के अधिकतर राज्यों में बारिश के बाद मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है. मौसम बदलने के साथ वायरल फीवर और डेंगू के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है. डेंगू आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा कहर बरपाता है. डेंगू एक वायरल फीवर है, जो संक्रमित मच्छर एडीज एजेप्टी के काटने से इंसानों में फैलता है. डेंगू के लक्षण मच्छर काटने के 4-10 दिनों बाद नजर आते हैं. इसमें तेज बुखार और अत्यधिक थकान हो जाती है. डेंगू के मरीजों का प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरने लगता है. ऐसी कंडीशन में सही इलाज न मिलने पर मरीज की कंडीशन गंभीर हो सकती है. अब सवाल उठता है कि डेंगू होने पर किस तरह इसे कंट्रोल किया जा सकता है? इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब डॉक्टर से जान लेते हैं.
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल की फिजीशियन डॉ. सोनिया रावत के मुताबिक डेंगू एक वायरल फीवर होता है, जिसका इलाज सही तरीके से किया जाए तो मरीज कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है. डेंगू फीवर के दौरान लोगों को अपने वजन के हिसाब से पैरासिटीमोल टैबलेट लेनी चाहिए. डेंगू फीवर में इसके अलावा कोई और दवा लेना नुकसानदायक हो सकता है. लोगों को लगता है कि एंटीबायोटिक्स लेने से फायदा होगा, लेकिन डेंगू के मामले में ऐसा करने से प्लेटलेट काउंट कम हो जाएगा और परेशानी बढ़ जाएगी. अधिकतर मामलों में डेंगू का इलाज पैरासिटामोल से ही किया जाता है. सीवियर केस में अन्य दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
डॉ. सोनिया रावत कहती हैं कि अगर आपको बुखार आ जाए तो अपने वजन के हिसाब से पैरासिटामोल टैबलेट ले सकते हैं. पैरासिटामोल 15 mg प्रति किलो वजन के हिसाब से लेनी चाहिए. उदाहरण के लिए अगर किसी का वजन 60 किलो है, तो वह व्यक्ति 900 mg तक की खुराक ले सकता है. डेंगू के मामलों में मरीज एक दिन में 3 या 4 बार पैरासिटामोल दवा ले सकता है. इसके अलावा उसे ज्यादा से ज्यादा पानी पीना होगा और लिक्विट डाइट लेनी होगी. डेंगू के मरीज ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लेकर जल्दी रिकवर कर सकते हैं. मरीजों को एक दो दिन बुखार आने पर ब्लड टेस्ट जरूर करा लेना चाहिए. अगर कंडीशन लगातार बिगड़ रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
Dengue के लक्षण
– तेज बुखार
– शरीर में दर्द
– सिरदर्द होना
– उल्टी आना
– पेट में दर्द
– वीकनेस होना
– ज्यादा थकान
– प्लेटलेट कम होना