नई दिल्ली। पाकिस्तान की सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर तहरीक-ए-लब्बैक के नेता साद रिजवी को कोट लखपत जेल से रिहा कर दिया है. इमरान खान की सरकार के लिए इसे शर्मनाक फैसला कहा जा रहा है क्योंकि रिजवी की गिरफ्तारी के खिलाफ पुलिस बल भी सामने आने लगे थे. इमरान खान को मजबूरी में रिजवी को रिहा करना पड़ा. संभव है कि आने वाले दिनों में रिजवी की अन्य मांगों को भी इमरान खान मानने के लिए मजबूर होंगे.
तहरीक-ए-लब्बैक द्वारा जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच इमरान खान की सरकार ने फ्रांसीसी राजदूत को देश निकाला देने के लिए प्रस्ताव लाने का भी ऐलान किया है. इस संबंध में इमरान सरकार आज फैसला करेगी. दरअसल, फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दोबारा प्रकाशित किए जाने के बाद से ही तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए थे. जब इमरान खान की सरकार ने लब्बैक के नेता साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया तो प्रदर्शनों में हिंसा भड़क उठी.
इमरान खान की दुविधा और मजबूरी सोमवार को दिए गए उनके बयान से भी जाहिर होती है. तहरीक-ए-लब्बैक के हिंसक प्रदर्शनों की तरफ इशारा करते हुए पीएम इमरान खान ने कहा, पाकिस्तान में यह एक बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारे राजनीतिक दल और धार्मिक दल इस्लाम का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं और इसका इस्तेमाल ऐसे करते हैं कि वे अपने ही देश को नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि, कट्टरपंथियों के बढ़ते दबाव के बीच इमरान खान की सरकार ने लब्बैक की दूसरी मांगों पर भी अमल करना शुरू कर दिया है.
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने मंगलवार को ऐलान किया कि सरकार नेशनल असेंबली में फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन पर एक प्रस्ताव पेश करेगी. जारी वीडियो संदेश में शेख राशिद अहमद ने कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के साथ वार्ता के बाद यह निर्णय लिया गया है.