नई दिल्ली। सनातन धर्म में हर धार्मिक कार्य की शुरुआत दीप जलाने से करने की परंपरा रही है और यह मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर कोई कार्य की शुरू की जाती है तो वह काम हमेशा सफल होता है। नवरात्रि के 9 दिनों में महाशक्ति की पूजा करने वाले श्रद्धालु अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की पूजा करते हैं। अखंड ज्योति से अर्थ है, ऐसी लौ जो पूरे 9 दिन ही जलाई जाए। अष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे अखंड दीपक भी जलाए जाने की परंपरा है।
अखंड ज्योति जलाते समय इन नियमों का करें पालन
– अखंड दीपक को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। दीपक को जौ, चावल या गेहूं जैसे किसी अनाज का ढेर बना लें और उस पर दीपक रखें।
– पूजा के बीच में दीपक नहीं बुझाना चाहिए। देवताओं की मूर्ति के सामने दीपक लगाना शुभ माना जाता है।
– हमेशा अखंडित दीपक जलाना चाहिए। मिट्टी का दीपक साफ मिट्टी का बना होना चाहिए और कहीं से भी टूटा हुआ नहीं होना चाहिए।
दीपक की लौ को लेकर यह मान्यता है कि ज्वाला को उत्तर दिशा की ओर रखने से स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि होती हैय़। लौ को पश्चिम की ओर रखने से दुख और ज्वाला दक्षिण की ओर रखने से दर्द होता है। जिस दीपक की लौ सोने के समान रंग की होती है, वह दीपक आपके जीवन में धन-धान्य की वर्षा लाता है और व्यापार में उन्नति का संदेश देता है।
अखंड ज्योत जलाने के लाभ
– घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
– सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
– घर के सदस्यों को यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
– पापों का नाश होता है।
– सुख-समृद्धि, आयु, स्वास्थ्य लाभ होता है।
– गाय के घी का दीपक जलाने से वातावरण कीटाणुओं से मुक्त होता है।
– दीपक का धुआं पर्यावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर देता है।