नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच जंग के हालात बने हुए हैं. दुनिया के तमाम देश अब मानने लगे हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होकर रहेगा. अमेरिका के अलावा यूरोप के कई देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं तो कई देश रूस के साथ भी खड़े हैं. अगर यूक्रेन और रूस में युद्ध हुआ तो स्थितियां भयावह होंगी और तीसरे विश्वयुद्ध की भी आशंका बन सकती है. ऐसे में बहुत सारे देश चाहते हैं कि युद्ध नहीं हो. भारत भी चाहता है कि रूस और यूक्रेन के बीच ये तनाव खत्म हो. साथ ही बातचीत से शांति का रास्ता निकाला जाए.
ऐसे में सवाल ये है कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है, तो भारत को कौन से नुकसान झेलने पड़ सकते हैं:-
भारत के सामने ये है धर्मसंकट
एक तरफ रूस है तो दूसरी ओर यूक्रेन के साथ अमेरिका है. अमेरिका, यूरोप के कई देश और नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देश रूस के खिलाफ हैं. अपने पंचशील सिद्धांतों को मानने वाला भारत आपसी विवाद में अमूमन दखल नहीं ही देता है. ऐसे में दिक्कत ये भी है कि भारत रूस का साथ देता है तो अमेरिका नाराज हो जाएगा और यूक्रेन के पक्ष में खड़े अमेरिका का साथ देता है तो रूस नाराज हो जाएगा. भारत न तो अमेरिका को नाराज करना चाहेगा और न ही रूस को. आज भी भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर रूस ही है.
ये होगा व्यापारिक असर
भारत रूस से डिफेंस पार्टनरशिप मिशन के तहत S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है. भारत उम्मीद जता रहा है कि इससे अमेरिका को आपत्ति नहीं होगी. हालांकि साल 2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे तो रूस पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगा था. प्रतिक्रियास्वरूप वर्ष 2017 में अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरिज थ्रू सैंक्शन एक्ट पास किया गया था, जिसके मुताबिक अमेरिका रूस से सैन्य उपकरण खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है. 2018 में हुई डील के मुताबिक, भारत तो हर हाल में रूस से एस-400 खरीदेगा. ऐसे में यूक्रेन संग रूस को जो तनातनी बढ़ी है, उस वजह से अमेरिका भारत पर कड़े प्रतिबंध लगा सकता है.
गेहूं के दाम बढ़ सकते हैं
अगर काला सागर क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में रुकावट आती है, तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका ईंधन और खाद्य मुद्रास्फीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक देश है, जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. दोनों देशों का गेहूं के कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है. ऐसे में अगर जंग हुई तो गेहूं के दाम बढ़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण बड़े पैमाने पर खाद्य कीमतें एक दशक से भी अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. ऐसे में जंग की वजह से हालात और भी भयानक हो सकते हैं.
तेल और गैस की आपूर्ति पर पड़ेगा असर
रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो यूरोपियन कंट्रीज को इस बात की चिंता है कि रूस तेल और गैस की आपूर्ति बंद कर देगा, कीमतें बढ़ा देगा. रूस-यूक्रेन तनाव के बीच बीते एक महीने में तेल की कीमतों में 14 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. आशंका जताई जा रही है कि स्थितियां नियंत्रित नहीं हुईं तो तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है और ऐसे में भारत पर भी इसका व्यापक असर पड़ सकता है.
धातुओं की कीमतें बढ़ेंगी
रूस पर प्रतिबंधों की आशंकाओं के बीच, पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत हाल के हफ्तों में बढ़ गई है. रूस पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ेंगी
कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने पूरे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है. अगर रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत में फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है. तेल की कीमतों में तेजी का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा.
कूटनीतिक नुकसान क्या होगा?
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की बात करें तो भारत खुद भी दगाबाज दुश्मन देशों से घिरा है. एक तरफ नापाक इरादों वाला देश पाकिस्तान है तो दूसरी ओर चालबाज चीन. वहीं, नेपाल के साथ भी कुछ बिंदुओं पर विवाद चल ही रहा है. खासकर लद्दाख और कश्मीर भारत के सबसे संवेदनशील हिस्से हैं, जहां पाकिस्तान-चीन जैसे देशों से चुनौती है. ऐसे में अमेरिकी सपोर्ट वाले यूक्रेन और रूस में से भारत अगर किसी एक पक्ष को नाराज करता है तो कूटनीतिक स्तर पर इसका फायदा चीन को मिल सकता है. ऐसे में भारत अपने पंचशील सिद्धांतो पर ही टिका रहना चाहेगा. हालांकि फिलहाल भारत की सबसे बड़ी चिंता, यूक्रेन में रह रहे भारतीयों की जल्द वापसी कराने को लेकर है. क्योंकि अगर युद्ध हुआ तो रेस्क्यू कर पाना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होगा.