नई दिल्ली। दिवाली नजदीक है और कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बोनस और गिफ्ट बांटना शुरू कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के आयकर कानूनों के अनुसार आपको इस कैश गिफ्ट पर टैक्स भी देना पड़ सकता है। बात केवल दिवाली की नहीं है। किसी भी अवसर पर आपको अगर कोई कैश गिफ्ट मिलता है तो यह टैक्स के दायरे में आ सकता है।
आयकर विभाग के अनुसार, बिना किसी प्रतिफल (रसीद या मूल्य की किसी भी चीज के बदले) के प्राप्त होने वाली किसी भी राशि को ‘मौद्रिक उपहार’ कहा जा सकता है। इसमें नकद, चेक, ड्राफ्ट आदि शामिल हैं। इस ‘मौद्रिक उपहार’ पर कर लगेगा, यदि ये एक वर्ष में 50,000 रुपये से अधिक है।
यह जरूरी नहीं कि हर कैश गिफ्ट टैक्सेबल हो। हालांकि ऐसे अपवाद हैं जब किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त कैश गिफ्ट कर योग्य नहीं होते है। इसमें शामिल है रिश्तेदारों से प्राप्त धन- जैसे कि पति या पत्नी, भाई या बहन, व्यक्ति के पति या पत्नी के भाई या बहन; व्यक्ति के माता-पिता के भाई या बहन; व्यक्ति का कोई वंशज, व्यक्ति के जीवनसाथी का कोई वंशज आदि।
विवाह के अवसर पर प्राप्त उपहार पर कर नहीं लगता है। विवाह के अलावा कोई अन्य अवसर नहीं है, जब किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त कैश गिफ्ट पर कर नहीं लगाया जासकता। जन्मदिन, सालगिरह आदि जैसे अवसरों पर प्राप्त कैश गिफ्ट भी आयकर विभाग के नियमों के अनुसार कर लगाया जाएगा।
कोई गिफ्ट टैक्सेबल है या नहीं, यह वर्ष के दौरान मिले उपहार के कुल मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाता है, न कि व्यक्तिगत उपहार के आधार पर। यदि पूरे साल के दौरान दौरान प्राप्त उपहारों का कुल मूल्य 50,000 रुपये से अधिक है तो वर्ष के दौरान प्राप्त ऐसे सभी उपहारों के कुल मूल्य पर कर लगाया जाएगा।
अगर आपको कंपनी की ओर से 5,000 रुपये से अधिक का कोई गिफ्ट मिलता है तो यह आपके आपके वेतन का हिस्सा माना जाएगा। टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर कर लगाया जाएगा। कंपनी द्वारा आपके खाते में जमा किए गए किसी भी पैसे को वेतन का एक हिस्सा माना जाएगा और इस तरह कर लगाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि आपकी कंपनी की ओर से किसी भी दिवाली बोनस मिलता है तो उस पर कर लगाया जाएगा।
कोई भी नकद उपहार, भले ही वह 5,000 रुपये से कम हो, कर के अधीन होगा, क्योंकि इसे आपके वेतन का हिस्सा माना जाएगा। हालांकि, वाउचर या कूपन के रूप में मिले रुपये कर के अधीन नहीं होंगे।