गाजियाबाद। लोनी बाॅर्डर क्षेत्र की गुलाब वाटिका काॅलोनी में मंगलवार की रात यशोदा देवी (65) और उनके अविवाहित दिव्यांग बेटे बिजेंद्र (35) की घर में सोते समय बेरहमी से हत्या कर दी गई। बुधवार सुबह इसका पता चलने पर परिवार के लोगों ने पुलिस को लूट के लिए हत्या का मामला बताया। लेकिन, शाम होते-होते सच्चाई सामने आ गई। यशोदा के बड़े बेटे धर्मेंद्र (40) को गिरफ्तार कर पुलिस ने दावा किया कि उसने ही चारपाई के पाए से दोनों की जान ली है। उसकी निशानदेही पर खून से सना पाया बरामद हो गया।
डीसीपी ग्रामीण विवेक यादव ने उससे की गई पूछताछ के हवाले से बताया कि कर्ज चुकाने के लिए चार दिन पहले शनिवार को उसने मां से 20 हजार रुपये मांगे थे। उस पर करीब डेढ़ लाख का कर्ज था। लोग तकादा कर रहे थे। मां ने रुपये देने से साफ इन्कार कर दिया था। उसी समय उसने मां की हत्या करने की ठान ली थी।
इसकी एक और वजह थी। उसे आशंका थी कि मां उसको संपत्ति से बेदखल कर देगी। उसे लगता था कि मां उसे पसंद नहीं करती है। शनिवार से ही वह इसी उधेड़बुन में लगा था कि हत्या करके खुद को कैसे बचाए?। आखिर में उसने वारदात को लूट के लिए हत्या का रंग देने की सोची। इस साजिश को मंगलवार की रात में अंजाम दिया। पुलिस की जांच में इसका पता चलने पर छोटे भाई आकाश ने धर्मेंद्र के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई।
इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। वह दिल्ली के वजीराबाद में चप्पल बनाने की फैक्टरी में काम करता है। पुलिस ने बताया कि वह तीन मंजिल के मकान में तीसरी मंजिल पर परिवार के साथ रहता है। दूसरी मंजिल पर यशोदा बेटे बिजेंद्र के साथ रहती थीं। भूतल पर सबसे छोटा बेटा आकाश रहता है।
रात बीत जाने के बाद सुबह धर्मेंद्र इंतजार कर रहा था कि कोई नीचे आए। कुछ देर तक कोई नहीं गया। इसके बाद उसकी आठ साल की बेटी रिद्दिमा चली गई। वह जैसे ही कमरे में घुसी, दादी और चाचा के खून से लथपथ शव देखकर उसकी चीख निकल पड़ी। चीख सुनते ही सबसे पहले धर्मेंद्र वहां पहुंचा। इसके बाद परिवार के अन्य लोग आ गए।
धर्मेंद्र ने ही पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आते ही उसने कहा कि घर में लूटपाट की गई। वह अलमारी दिखाने लगा। कह रहा था कि नकदी और गहने गायब हैं। पुलिसवाले आपस में बात कर रहे थे कि दोनों की हत्या किस तरह से की गई है? धर्मेंद्र कहने लगा कि दोनों को बदमाशों ने चाकू से मारा है। इस पर पुलिस को उस पर शक हो गया।