साहिबाबाद। वैभवखंड स्थित सोया गोल्ड एवेन्यु सोसायटी में पानी की समस्या से परेशान लोग अपने रिश्तेदारों के घर समय काट रहे हैं। कई लोग तीन दिन बाद सोसायटी में लौटे तो कई बुधवार को फ्लैट पर ताला लगाकर अपने परिचितों के घर रहने गए। वहीं, बुधवार को भी सोसायटी में दुर्गंध युक्त गंदा पानी घरों में पहुंचा। हालांकि मेंटेनेंस टीम ने सुबह ही लोगों को यह पानी किसी भी कार्य के लिए प्रयोग न करने की बात कह दी थी।
गंदा पानी पीने से बीमार हुए लोग जल्द ठीक होने के उद्देश्य आस-पास की सोसायटी में रह रहे अपने परिचितों के घर समय काट रहे हैं। सोसायटी में रह रहे लोगों ने कहा कि यहां रोजमर्रा के काम के लिए सुबह से शाम तक कई बार नीचे उतरकर पानी की बोतल ढोना पड़ रहा है। दिनचर्या ही बिगड़ गई है। ऐसे में वह लोग दूसरी जगहों पर जाकर समय गुजार रहे हैं। वहीं यहां रह रहे लोगों ने अपने परिचितों को अपनी सोसायटी का हाल बताते हुए घर न आने से मना कर दिया है।
दस दिन से छोटा बेटा बीमार है, रिकवर नहीं हो पा रहा था। ऐसे में छोटे बेटे को लेकर मैं जयपुरिया सनराइज में रह रही अपनी मम्मी के घर पहुंच गई। वहां दो दिन रहने के बाद लौटी हूं, बेटा अभी मम्मी के घर ही है। यहां रहकर नहाने-धोने की भी दिक्कत हो रही है ऐसे में बेटे को मम्मी के यहां ही छोड़ा है। घर पर ज्यादा दिन ताला नहीं लगा सकते तो मैं कल रात लौट आई।
गंदा पानी पीने की वजह से मेरे पति बच्ची और खुद मेरी भी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी। तीन दिन पहले मम्मी ने अपने यहां बुला लिया था ताकि सब ठीक हो जाए। क्रासिंग्स रिपब्लिक में मम्मी रहती हैं मैं तीन दिन से वहीं थी। आज ऑफिस जाना था तो सोसायटी में लौटी हूं, तबीयत ठीक नहीं रहती तो मम्मी के यहां ही जाऊंगी यहां तो कुल्ला करने के लिए पानी नीचे लेने आना पड़ रहा है।
मेरा बेटा लगातार दवा खाने के बावजूद ठीक नहीं हो रहा। चिकित्सकों का कहना है कि यूपीआर के पानी नहाने धाने में प्रयोग करने की वजह से भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे में शाम तक बेटे की हालत में सुधार नहीं हुआ तो वसुंधरा में रह रहे अपने भाई के यहां बेटे को लेकर जाउंगी ताकि इससे इसकी जगह बदल जाएगी।
शिविर में जांच कराने पहुंची तंजना ने बताया कि वह सोसायटी में खाना बनाती हैं। उनकी कई सहेलियां भी सोसायटी में काम करती हैं। दो तो अस्पताल में भर्ती है, जिसकी हालत खराब हैं। तंजना ने बताया कि सोसायटी में करीब 300 महिलाएं हैं जो खाना बनाने से लेकर घरेलू कार्य करने के लिए आती हैं। सभी सोसायटी का ही पानी पीती थीं। तंजना की मानें तो करीब 150 से अधिक घरेलू सहायिकाएं बीमार हैं, जिनकी कोई गिनती स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की है। बीमार होने के बाद बहुत घरेलू सहायिकाएं काम करने भी नहीं पहुंच रही।