मुजफ्फरनगर। पात्र गृहस्थी योजना के राशन कार्डाें का लक्ष्य पूर्ण होने के कारण कई वर्षों से शहरी और देहात क्षेत्र में पात्रों के राशन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। राशन कार्ड न बनने की समस्याओं के ढेर लगने के कारण विभागीय अधिकारी लक्ष्य पूर्ण होने के कारण कार्ड बनाने में असमर्थता दिखा रहे थे। अब डीएम चंद्रभूषण सिंह ने जनपद में अपात्र लोगों को खोज निकालने के निर्देश डीएसओ को दिए हैं, जिसके बाद अपात्र लोगों का विभाग में पहुंचना शुरू हो गया, जो अपने कार्ड सरेंडर करने के लिए आगे भी आ रहे हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंर्तगत पांच लाख से अधिक कार्ड धारकों को प्रति महीने दो बार दो रुपये किलो गेंहू और तीन रुपये किलो चावल मिल रहे हैं। इसके साथ चना और तेल भी पात्रों का दिया जा रहा है, लेकिन शहर में करीब दो वर्षों से और ग्रामीण क्षेत्रों में करीब एक वर्षों से कार्ड बनने का लक्ष्य पूर्ण होने के कारण पात्र लोग अभी भी इस योजना से वंचित है। प्राथमिक जांच हुई तो सामने आया कि बड़ी संख्या में अपात्रों के कार्ड बने हुए हैं और इस योजना का लाभ ले रहे हैं। इस मामले में डीएम चंद्रभूषण सिंह ने डीएसओ को पत्र लिखकर अपात्रों के राशन कार्ड काटकर उनके स्थान पर आ रहे आवेदन की जांच कर नए कार्ड चढ़ाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद शहरी क्षेत्र सहित तहसीलों से कार्डों की जांच कर पात्र-अपात्रों की पहचान की जा रही है। पूर्ति निरीक्षक क्षेत्रों में जाकर कार्डधारकों की जांच के बाद अपात्र मिलने पर उनके कार्ड सरेंडर करा रहे हैं। विभागीय कर्मचारियों की माने तो जनपद में 40 प्रतिशत राशन कार्ड अपात्रों के बने हुए हैं, जिस कारण पात्रों के राशन कार्ड आवेदन के बाद भी अटके हुए हैं।
डीएम ने डीएसओ प्रभारी कमलेश सिंह को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि ऐसे अपात्र कार्ड धारकों को खोजा जाए जिन्होंने कार्ड बनवाकर सरकारी खाद्य योजना का लाभ लिया है। कार्ड सरेंडर न करने वालों की सूची बनाकर उनसे मार्केट रेट पर चावल और गेंहू की वसूली की जाने की कार्यवाही भी की जाए।
डीएसओ प्रभारी कमलेश सिंह ने बताया कि अपात्रों के कार्ड सरेंडर कराने पर कार्य चल रहा है। यह अभियान शुरू होने के बाद 100 से अधिक अपात्रों ने कार्यालय आकर कार्ड सरेंडर किए हैं, जिनके स्थान पर उन पात्रों के कार्ड बनाए जा रहे हैं, जो योजना से अभी तक वंचित है।