मुजफ्फरनगर। एक फरवरी से सहायक श्रमायुक्त कार्यालय के अधिकतर काम बंद हैं। तीन माह से मेंटीनेंस के चलते विभाग का सर्वर बंद है। श्रमिक जनसेवा केंद्रों और दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस बीच न तो कोई श्रमिक किसी योजना के लिए आवेदन कर पाया है और न ही किसी का पुराना आवेदन ही स्वीकृत हुआ है।
प्रदेश के श्रम विभाग का सर्वर तीन माह से खराब है। प्रदेश में श्रम विभाग के कार्य ऑनलाइन ही होते हैं। श्रमिक ऑनलाइन आवेदन करते हैं और उनकी स्वीकृति भी ऑनलाइन ही होती है। अधिकारियों का कहना है कि सर्वर के मेंटीनेंस का कार्य चल रहा है। तीन माह हो चुके हैं, लेकिन सर्वर का मेंटीनेंस का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इस पूरे मामले की जानकारी शासन को दी जा चुकी है। प्रदेश के श्रमिकों, गरीबों से जुड़ा यह विभाग तीन माह से कोई भी कार्य नहीं कर रहा है।
सहायक श्रमायुक्त राजकुमार का कहना है कि अब कुछ भी ऑफ लाइन नहीं है। सब कुछ ऑनलाइन है। विभाग का सर्वर बंद हो जाने से तीन माह से हम कुछ नहीं कर पाए हैं। कोई श्रमिक न तो आवेदन कर पाया है और न ही उसके आवेदन को स्वीकृति मिली है।
प्रदेश सरकार ने गरीब श्रमिकों की मृत्यु पर 25 हजार रुपये अंत्येष्टी के लिए और दो लाख परिवार के भरण पोषण का प्रावधान किया हुआ है। तीन माह से सर्वर नहीं चलने से श्रमिकों के परिवार को अंत्येष्टी का पैसा भी नहीं मिल रहा है। मृत्यु पर यह पैसा तुरंत देने का प्रावधान है। श्रमिक नीरज, कविता, शांति ने बताया कि सर्वर नहीं चलने से कोई भी श्रमिक किसी भी योजना में आवेदन नहीं कर पा रहा है।
सहायक श्रमायुक्त राजकुमार का कहना है कि वित्तीय सत्र 2023-24 में विभाग ने जनपद में 933 पात्र लाभार्थियों को चार करोड़ 64 लाख रुपये सीधे उनके खातों में भेजा है। श्रमिक की बेटी की शादी में 55 हजार रुपये विभाग देता है। मातृत्व लाभ योजना में बेटा होने पर 20 हजार और बेटी होने पर 25 हजार दिए जाते हैं। बेटी की 25 हजार रुपये की एफडी अलग से होती है। मृत्यु अंत्येष्टी योजना में सामान्य मृत्यु पर दो लाख 25 हजार और हादसे में मृत्यु पर पांच लाख 25 हजार दिया जाता है। संत रविदास शिक्षा सहायता योजना में चार हजार से 18 हजार तक की छात्रवृत्ति दी जाती है।
2300 पुराने मामले लंबित एएलसी राजकुमार का कहना है कि हम नए आवेदन पर साथ के साथ कार्रवाई कर रहे हैं। कुछ पुराने आवेदन चले आ रहे हैं, उन पर भी संज्ञान लिया जा रहा है। ऐसे 2300 मामले हैं जो काफी सालों से लंबित हैं।