नई दिल्ली : भारत आर्थिक शक्ति होने के साथ ही विज्ञान महाशक्ति भी बन सकता है। ‘नेचर’ ने अपने संपादकीय में कहा है कि जीडीपी का महज 0.64 फीसदी खर्च करके भारत अंतरिक्ष में बड़ों-बडों की बराबरी कर रहा है, इसलिए और अधिक निवेश से वह महाशक्ति के रूप में उभर सकता है। संपादकीय में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा देश में बुनियादी अनुसंधान की उपेक्षा की गई।
लीक से हटकर लिखे गए संपादकीय में कहा गया है कि भारत में आम चुनाव चल रहे हैं, इस बात की पूरी संभावना है कि एनडीए तीसरी बार सत्ता में आएगा। वह दशक के आखिर तक भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सफल होगा। इसके अनुसार, विज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनने के लिए अनुसंधान प्रणाली को अधिक स्वायत्तता की जरूरत है। भारत सरकार व्यवसायों को अधिक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करके विज्ञान व्यय को बढ़ा सकती है, जैसा दुनिया के शीर्ष देशों ने किया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग था और सस्ती दवाओं और जेनेरिक दवाओं का अग्रणी आपूर्तिकर्ता था। दुनिया भर में कोविड महामारी से लड़ने में उसकी भूमिका अहम रही। पिछले साल भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश। उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा रिमोट-सेंसिंग उपग्रह भी है।