मुजफ्फरनगर निवासी विधवा शारदा की मदद के लिए प्रशासन आगे आया है। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने मामले का संज्ञान लिया। उनके निर्देश पर एसडीएम सदर शारदा के घर पहुंचे। खाद्यान्न सामग्री, आर्थिक मदद की शुरूआत कराई। बीपीएल कार्ड जारी करने के आदेश किए।
अमर उजाला में सूजडू की शारदा की गरीबी और लाचारी की खबर प्रकाशित होने के बाद डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने मदद की पहल की। उन्होंने मामले का संज्ञान लेते हुए एसडीएम सदर परमानंद झा को सुबह ही गांव सूजडू में शारदा के घर भेजा।
एसडीएम ने गांव प्रधान और गण्यमान्य लोगों की मौजूदगी में शारदा को 25 किलो खाद्यान्न और तत्काल सहायता के रूप में एक हजार दिए। इसी के साथ गांव के लोगों ने तीन हजार की आर्थिक मदद की।
एसडीएम परमानंद झा ने बताया कि शारदा को लेकर प्रशासन गंभीर है। शारदा को पारिवारिक लाभ योजना में समाज कल्याण और भवन निर्माण योजना में श्रम विभाग से मदद कराई जा रही है। दोनों विभागों में प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। शारदा का बीपीएल कार्ड भी बनवा दिया गया है।
विधवा शारदा के पति लाल सिंह यादव 30 वर्ष पूर्व रोजगार की तलाश में आजमगढ़ से मुजफ्फरनगर आए थे। यहां आने के बाद ही उन्होंने शारदा से शादी की थी। तीन साल पहले लाल सिंह की मृत्यु हो गई थी उस समय राहुल यादव मात्र 19 वर्ष का था। घर में कोई दूसरा कमाने वाला नहीं होने के कारण उसने कम उम्र में ही फैक्टरी में नौकरी शुरू कर दी थी। विधवा महिला का बेटा राहुल तीन साल से नौकरी कर रहा था। अचानक परिवार पर पहाड़ टूटा और राहुल फेफड़ों के संक्रमण की चपेट में आ गया। एक माह उपचार के बाद उसकी मेरठ मेडिकल में उसकी मौत हो गई। इस बीच परिवार पाई-पाई को मोहताज हो गया।
30 साल से सुजडू में रह रहे शारदा के परिवार का आधार कार्ड यहीं का है। बड़ी बात यह है कि इस गरीब परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला। न तो घर के लिए पैसा मिला, न बीपीएल राशन कार्ड का लाभ मिला। विधवा पेंशन तक शारदा को नहीं मिली। सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में पंजीकरण तक नहीं हुआ। राहुल यादव की मौत ने सरकारी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं।
डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने कहा कि पीड़िता की मदद के लिए प्रशासन की टीम भेजी गई है। शारदा को हर संभव मदद दिलाई जाएगी। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा।
युवा राहुल यादव की मौत टायर फैक्टरी के जहरीले धुएं से फेफड़ों में हुए संक्रमण से हुई है। जिस फैक्टरी में वह काम करता था, उसे प्रशासन 15 दिन पहले सील कर चुका है। सुजडू में विधवा शारदा के घर मदद को पहुंचे उप जिलाधिकारी परमानंद झा के सामने बेटे राहुल की मौत का जिम्मेदार टायर फैक्टरी को बताया। शारदा ने बताया कि उसका बेटा तीन साल से फैक्टरी में नौकरी करता था। एक साल से वह ज्यादा परेशान था। फैक्टरी में इतना खतरनाक धुआं निकलता है, जिमसें उसे सांस आना मुश्किल हो जाता था। आखिरकार इस धुएं से उसके फेंफडे़ खराब हो गए और 22 साल में उसका बेटा उससे छिन गया। शारदा ने बताया कि फैक्टरी वालों ने उसकी कोई मदद नहीं की। एसडीएम ने बताया कि मलीरा की वह फैक्टरी 10 मई को सील हो चुकी है।
टायर फैक्ट्रियों में निकलने वाला धुआं हानिकारक है। मास्क का प्रयोग नहीं हो रहा है तो फेफड़ों आदि में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
मुजफ्फरनगर में टायर जलाने की 12 फैक्ट्रियों के पास लाइसेंस हैं। इससे पहले बड़ी संख्या में ये फैक्टरी थीं। इन फैक्ट्रियों के धुएं को चिमनी तक पहुंचाने से पहले पानी में डुबोया जाता है। सभी वर्करों के लिए मास्क और अन्य इंस्ट्रूमेंट जरूरी हैं। फैक्ट्री जब मानकों के अनुसार नहीं चलती है तो कर्मचारियों के लिए जानलेवा बन जाती हैं। हम लगातार जांच कर रहे हैं मानकों के विपरीत चलने वाली सभी फैक्टरी सील होगी।