गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक जैसे प्रदेशों के तटीय इलाकों पर तबाही मचाने वाले तूफान आमतौर पर अरब सागर में बनते हैं. वहा से वह भारत के पश्चिमी इलाकों में सक्रिय हो जाते हैं. लेकिन आप हैरान हो सकते हैं कि आमतौर पर चक्रवाती तूफान मुंबई से नहीं टकराते. इस बार बिपरजॉय भी इसके अगल बगल से निकल गया लेकिन मुंबई पर आंच नहीं आई. बस मरीन ड्राइव पर ऊंची ऊंची लहरें जरूर उठती देखी गईं. ये तूफान का ही असर था. केवल एक ही बार मुंबई तो एक चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ा था.
हाल-फिलहाल के दशकों में जो तूफान मुंबई से टकराया था, वो निसर्ग था. ये वर्ष 2020 में मुंबई के तटीय इलाकों में हलचल पैदा करने वाला था. सवाल उठता है कि सागर तट पर बसे होने के बाद भी मुंबई में चक्रवाती तूफान क्यों नहीं आते हैं.
मुंबई में अब से पहले 1882 में एक तूफान के तबाही मचाने का जिक्र अकसर होता है. कहा जाता है कि उस तूफान के कारण मुंबई में 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, इसके टकराने और अफवाह होने को लेकर विवाद है. ये करीब 140 साल पहले की बात है और रिकॉर्ड भी इस बारे में बहुत ज्यादा नहीं बताते.
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, अमूमन अरब सागर (Arabian Sea) में उठने वाले तूफान तटीय इलाकों पर टकराते तो हैं लेकिन उसके बाद आगे बढ़ जाते हैं.