सहारनपुर. दरकती दीवारें… झूलते छज्जे। कभी भी ढह जाने का खौफ। दहशत में सांसे, लेकिन सरकारी तंत्र बना है बेपरवाह। कुछ ऐसा हाल है स्मार्ट सिटी सहारनपुर की सैकड़ों जर्जर इमारतों के आसपास रहने वाले बाशिंदों का।
इन इमारतों के आसपास मौत के मंडराने की खबर भी स्थानीय लोग अधिकारियों को सैकड़ों बार दे चुके हैं, लेकिन नगर निगम नींद में है। सोमवार को 70 वर्षीय नूरहसन गऊशाला रोड पर जर्जर मकान का छज्जा गिरने से मलबे में दबकर मौत हो गई। निगम की संवेदनाएं तब भी नहीं जागीं। जर्जर इमारतों के इर्द गिर्द मौत का साया मंडरा रहा है और निगम तमाशबीन बना है।
जर्जर इमारतों के ढहने से यह पहला हादसा नहीं हुआ है। रानी बाजार व जोड़कुआं आदि क्षेत्रों में जर्जर भवन गिरने से आए दिन लोग चोटिल होते हैं। पिछले दिनों मोहल्ला छतरीवाला में भवन की छतरी गिरने से रेहडा चलाने वाले की मौत हो गई थी। इसके बावजूद न तो नगर निगम की नींद टूटी और न प्रशासन की। जर्जर भवनों को लेकर निगम कोई ठोस योजना नहीं बना रहा है।
नूर हसन का ठेला और फिर हादसे का इंतजार
हवा में लटकता छज्जा गिरा और नूर हसन की जान ले गया। निगम के अधिकारी चंद मिनट को आए और अफसोस जताकर चले गए। मौके पर खड़ा नूरहसन का ठेला अधिकारियों को सतर्क कर रहा है कि खतरा अभी टला नहीं है। इस जर्जर इमारत के आसपास कई अन्य इमारतों का यही हाल है।
काश, जाग जाता नगर निगम
गऊशाला रोड मोहल्ले के विजय कुमार ने बताया कि नूरहसन की मौत जिस जर्जर भवन का छज्जा गिरने से हुई, उसे पहले ही गिराने के लिए दर्जनों बार नगर निगम को आवेदन दिया था। नोटिस देकर निगम अपनी जिम्मेदारी पूरी करता रहा। इसका परिणाम नूर हसन की मौत के रूप में सामने आया।
करीब 221 जर्जर भवन चिह्नित
कई वर्षों से करीब 221 जर्जर भवन चिह्नित हैं। इनमें रानी बाजार, खुमरान, पुरानी मंडी, ढोली खाल, चौक फव्वारा, मोरगंज, अरबी मदरसा, गऊशाला रोड, किला नवाब गंज, मोहल्ला आली, छत्ता जम्मूदास मोहल्ला मोचीयान, नखासा बाजार, गौरी शंकर बाजार, चूड़ी बाजार, हलवाई हट्टा, भगत ङ्क्षसह चौक सहित अनेक क्षेत्रों में जर्जर भवन शामिल हैं।
अनेक जर्जर भवनों को चिह्नित किया गया है, कई में पारिवारिक या किराएदारी विवाद है। नए सिरे से जर्जर भवन चिह्नित कराए जा रहे हंै तथा अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।