शामली। हिंडन की सहायक नदियों में से एक कृष्णी नदी को प्रदूषण मुक्त , स्वच्छ एवं अविरल धारा प्रवाह के लिए शामली सहित पांच निकायों में बायो रेमिडिएशन प्लांट लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
बता दें कि कभी कृष्णी नदी अपने स्वच्छ जल के कारण कांच के सामान पारदर्शी हुआ करती थी, जिसका जीवनदायिनी जल रोगों को दूर करने वाला शुद्ध और पवित्र हुआ करता था लेकिन आज मनुष्यों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और गंदगी के कारण विकराल रूप धारण कर चुकी है। सर्पीले आकार वाली 153 किलोमीटर लम्बी कृष्णी नदी का उद्गम स्थल सहारनपुर जनपद है। यह सहारनपुर से निकलकर मुजफ्फरनगर, शामली तथा मेरठ से होकर गुजरती है। इतना ही नहीं इन जिलों से बहते हुए यह नदी बागपत जिले के बरनावा में जाकर हिंडन नदी में मिल जाती है।
वर्तमान में यह नदी अपने आसपास के क्षेत्र में हुए औद्योगिक आधिपत्य के कारण संकट में है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से कृष्णी नदी में उद्योगों जैसे कि शुगर मिल, डेयरी उत्पाद तथा भट्टियों से निकलने वाले गंदे व विषैले पदार्थों को बिना किसी परवाह के काफी बड़ी मात्रा में डाला जा रहा है, उस कारण रोगों से बचाव करने वाली यह जीवनदायिनी नदी आज घातक रोगों को जन्म दे रही है। इतना ही नहीं कृष्णी नदी कूड़ा- करकट प्रावाहित हो रही है।
ऐसे में नमामि गंगे योजना के तहत शहर के नालों के गंदे पानी को शुद्ध को कर नदी में प्रवाहित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए शामली नगर पालिका, थानाभवन, जलालाबाद, बनत एवं एलम नगर पंचायत क्षेत्र में नाले के पानी की सफाई के लिए बायो रेमिडिएशन प्लांट लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। इस पर करीब 78.42 करोड़ की धनराशि खर्च की जाएगी। नगर पंचायतों ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है।