देहरादून: केदारनाथ का सफर निकट भविष्य में कम समय में और सस्ता व रोमांच भरा होगा। ऐसा संभव होगा केदारनाथ रोप वे परियोजना से, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को करेंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोप वे परियोजना का भी शिलान्यास करेंगे।
क्यों खास है बहुप्रतीक्षित व बहुद्देशीय केदारनाथ रोप वे परियोजना
केदारनाथ रोप वे प्रदेश की एक बहुप्रतीक्षित व बहुद्देशीय परियोजना है।
हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की है।
केदारनाथ में हेलीकाप्टर दुर्घटना के बाद इसकी प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
यह रोप वे सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच बनाया जाएगा।
तकरीबन 9.7 किमी लंबाई की इस रोप वे परियोजना की लागत 1267 करोड़ रुपये आंकी गई है।
रोप वे बनने के बाद सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर महज 25 से 30 मिनट में पूरा हो जाएगा।
अभी इसकी पैदल दूरी 16 किमी है, जिसे पूरा करने में यात्रियों को चार से पांच घंटे लगते हैं।
इस रोपवे निर्माण की जिम्मेदारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने एक कंपनी को सौंपी है।
कार्यदायी संस्था इसके निर्माण के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर चुकी है।
इस रोप वे में 22 टावर लगाए जाने प्रस्तावित है।
इसमें गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में चार स्टेशन भी बनाए जाएंगे।
परियोजना को वर्ष 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री केदारनाथ के साथ ही हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना का भी शिलान्यास करेंगे। इस परियोजना के तहत गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से रोप वे से जोड़ा जाएगा। इसकी लंबाई लगभग 12.40 किलोमीटर होगी। इससे यात्रा मात्र 45 मिनट में पूरी हो जाएगी। इसकी लागत 1163 करोड़ आंकी गई है।
इस रोप वे में गोविंदघाट, पुलना, भ्यूंडार, घांघरिया व हेमकुड साहिब तक कुल पांच स्टेशन बनेंगे। हेमकुंड साहिब तक 19 किमी का पैदल रास्ता डेढ़ दिन में तय हो पाता है। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। इस परियोजना को भी जून 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।