नई दिल्ली। कतर में फीफा वर्ल्ड कप 2022 का शानदार आगाज हुआ. इस बार की रौनक, स्टेडियम और रंगारंग कार्यक्रम, फुटबॉल फैन्स के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. कतर की मेजबानी को लेकर पूरी दुनिया में विवाद भी छिड़ा हुआ है और सभी ये मान रहे हैं कि कतर ने पैसे के दम पर मेजबानी हासिल की, लेकिन सवाल ये है कि वो कौन सी वजह है? जिसके लिए कतर इतना बड़ा आयोजन करवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए राजी था. वो वजह है इस्लाम का प्रचार. हो सकता है कि लोग कहें कि ये बात हवा-हवाई है, लेकिन कई एक्सपर्ट्स ऐसा ही मानते हैं.
कोई मानें, चाहे ना मानें, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है, कतर का मकसद यही है. अंग्रेजी में एक शब्द स्पोर्ट्सवॉशिंग है. इसका मतलब होता है, खेल के बहाने, अपनी छवि सुधारने की कोशिश. कहा जा रहा है कि कतर इस फुटबॉल विश्वकप के जरिए यही कर रहा है. अक्सर देखा गया है कि जब किसी देश की छवि दुनिया में बिगड़ने लगती हैं, तो खेलों का आयोजन करवाकर, ऐसे देश, अपनी इमेज सुधारने की कोशिश करते हैं.
साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में यही हुआ था, तब चीन ने स्पोर्ट्सवॉशिंग की थी. ओलंपिक आयोजन को सफल बनाने के लिए चीन ने भी पानी की तरह पैसा बहाया था. दरअसल, ओलंपिक आयोजन के कुछ साल पहले से ही, चीन पर मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले चल रहे थे. दुनियाभर में तिब्बत और जिनजियांग प्रांत में हुए अत्याचार को लेकर चीन के खिलाफ आवाजें उठ रही थीं. तिब्बत पर कब्जा करके वहां के लोगों पर अत्याचार और जिनजियांग में उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार की सैकड़ों खबरें, विदेशी अखबारों में छाई रहती थीं. इसीलिए चीन ने ओलंपिक के दौरान अपनी छवि को बदलने के लिए आयोजन को सफल बनाने की हर मुमकिन कोशिश की थी.
साल 1936 में, नाजी जर्मनी में भी ओलंपिक का आयोजन इसी मकसद से हुआ था. इन खेलों को करवाने का मकसद, हिटलर शासित नाजी जर्मनी की छवि को सुधारना था, क्योंकि उस वक्त हिटलर की छवि एक तानाशाह और नस्लवादी शासक की तरह थी. लोग हिटलर को अत्याचारी मानते थे, इसीलिए ओलंपिक के जरिए, वो अपनी भी छवि सुधारना चाहता था.
कतर एक अरब देश है और यहां के नियमों में शरिया कानूनों की झलक मिलती है. देखा जाए तो प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से, ये दुनिया का सबसे अमीर देश है, लेकिन फिर भी वो भविष्य को देखते हुए चाहता है कि दुनियाभर की कंपनियां कतर आएं. फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन, इसी योजना का हिस्सा है. इसलिए एक्सपर्ट इसे कतर की स्पोर्ट्सवॉशिंग कह रहे हैं. अरब देश होने की वजह से दुनिया में कतर की छवि कट्टर इस्लामिक देश वाली है, जहां स्वतंत्रता, शरिया के नियम तय करते हैं. यही वजह है कि कतर फुटबॉल वर्ल्ड कप के आयोजन से अपने देश की उदारवादी छवि बनाना चाहता है, लेकिन कतर का असली मकसद, फुटबॉल वर्ल्डकप के बहाने, फुटबॉल फैन्स का इस्लामीकरण हो सकता है.
दरअसल, कतर ने इस काम का ठेका, एनआईए के मोस्ट वॉन्टेड इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाइक को दिया है. भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और जहरीले भाषणों के लिए कुख्यात भगोड़े जाकिर नाइक, पिछले कई सालों से भारत नहीं लौटा है. गिरफ्तारी के डर से जाकिर नाइक मलेशिया में छिपा हुआ था, लेकिन कतर ने उसे फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान इस्लाम के प्रचार के लिए और इस्लामिक उपदेशक के तौर पर, अपना यहां बुलाया है.
कतर के सरकारी स्पोर्ट्स चैनल अलकास ने ये जानकारी दुनिया तक पहुंचाई है. अलकास के टीवी एंकर फैजल अल्हाजरी ने एक ट्वीट किया. इसमें लिखा था, ‘वर्ल्ड कप के दौरान इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक कतर में हैं. वो वर्ल्ड कप के दौरान कई इस्लामिक उपदेश देते रहेंगे.’ कतर के चल रहे फुटबॉल वर्ल्डकप में कई ऐसे रिकॉर्ड्स बन गए हैं, जो इससे पहले कभी नहीं बने थे. पहली बार किसी अरब देश में फुटबॉल विश्वकप हुआ है और पहली बार खेल के किसी आयोजन में धर्मप्रचारक का इस्तेमाल होगा, जो इस्लामिक उपदेश देगा.
इसी से समझा जा सकता है कि कतर ने फुटबॉल विश्वकप को इस्लाम के प्रचार का जरिया बना दिया है. पूरे फुटबॉल विश्वकप में कुल 32 देशों में से केवल 6 देश ईरान, मोरोक्को, कतर, सउदी अरब, सेनेगल और ट्यूनीशिया ही इस्लाम को मानने वाले देश हैं. बावजूद इसके एक विवादित इस्लामिक उपदेशक को विश्वकप में इस्लामिक उपदेश देने का न्योता दिया जाना, अपने आप अजीब बात है. इससे पहले शायद किसी भी बड़े खेल आयोजन में धार्मिक उपदेशकों को, किसी धर्म विशेष से जुड़े उपदेश देने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया होगा.
– धर्म विशेष से जुड़े उपदेश देने के लिए जिसको बुलाया गया है, उसकी विशेषता भी आपको जाननी चाहिए. भारत में विवादित उपदेश देने वाले जाकिर नाइक की पहली विशेषता हैं- जहरीले भाषण देना. जाकिर नाइक ऐसे भाषण देने के लिए मशहूर हैं, जिनसे किसी देश में दो धर्मों के बीच सांप्रदायिक तनाव पैदा हो जाए. भारत में जाकिर नाइक ने कई बार ऐसे भाषण दिए हैं, जिससे हिंदू-मुस्लिमों के बीच तनाव बढ़ गया था.
– जाकिर नाइक की दूसरी विशेषता है- मनी लॉन्ड्रिंग. दुनियाभर के देशों से गैर कानूनी पैसे लेना, और फिर जिस देश में रहते हैं, उसे अस्थिर करना भी इसकी विशेषता है.
– जाकिर नाइक तीसरी विशेषता है- मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाना. आतंकी गतिविधियों में लिप्त कई मुस्लिम युवाओं ने पूछताछ में कबूल किया है कि वो जाकिर नाइक के भाषणों से बहुत प्रभावित थे. जुलाई 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 5 आतंकियों ने एक हमले को अंजाम दिया था. इसमें 29 लोग मारे गए थे. इस घटना की जांच में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, उन्होंने बताया था कि वो जाकिर नाइक के भाषणों से प्रभावित थे. इसके बाद जब भारत में जांच शुरू हुई तो जाकिर नाइक मलेशिया भाग गया.
– जाकिर नाइक की चौथी विशेषता है- दूसरे धर्मों को अपमानित करने वाले भाषण देना. दूसरे धर्मों के खिलाफ जाने वाले भाषणों को लेकर जाकिर नाईक की भारत ही नहीं, यूके और कनाडा जैसे देशों में भी एंट्री बैन है. बांग्लादेश ने तो जाकिर नाइक के भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया है. यही नहीं जाकिर नाइक के जहरीले भाषणों वाले टीवी चैनल ‘पीस टीवी’ पर भारत, बांग्लादेश,यूके,कनाडा और श्रीलंका में प्रतिबंध है.
– जाकिर नाइक की पांचवी विशेषता- विश्वभर के मुस्लिम देशों में शरिया नियम लागू करने की वकालत करना. जाकिर नाइक अपने भाषणों में कई बार शरिया कानून को सबसे बेस्ट बताकर, हर मुस्लिम देश को इसे अपनाने की बात करता रहा है, हालांकि इसको लेकर मुस्लिम समुदाय ने उसका कई बार विरोध किया है.
वर्ष 2016 में जाकिर नाईक, भारतीय एजेंसियों से बचते बचाते मलेशिया भाग गया था. मलेशिया एक मुस्लिम देश है, जाकिर नाइक को लगा था, कि यहां वो सुरक्षित रह पाएगा. लेकिन, धीरे धीरे मलेशिया की सरकार को भी अहसास हो रहा है, कि जाकिर नाइक उनके देश की शांति के लिए खतरा हो सकता है.
दरअसल साल 2019 में जाकिर नाइक ने एक भाषण से मलेशिया का हिंदू समुदाय और मलेशिया के चीनी मूल के लोग बहुत आहत हो गए थे. इसके बाद जाकिर नाइक को लेकर काफी विवाद हो गया था. विवाद होने के बाद, मलेशिया के 4 राज्यों में जाकिर नाइक के सार्वजनिक भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इससे पता चलता है कि जाकिर नाइक जैसे उपदेशक, किसी भी देश के लिए खतरनाक होते हैं.
सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है, जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीरें कतर फुटबॉल विश्वकप के दौरान ली गई है. इसमें जाकिर नाइक नजर आ रहा है और उसके साथ कुछ और लोग भी नजर आ रहे हैं. अलग-अलग सोशल मीडिया अकाउंट पर ये दावा किया जा रहा है, कि जाकिर नाइक कतर पहुंच चुका है. इसमें जाकिर नाइक कुछ उम्रदराज नजर आया है, लेकिन उसने अपनी ड्रेसिंग वही रखी है, जो वो हमेशा पहनता है.
इस वीडियो में फीफा वर्ल्ड कप 2022 की ब्रैंडिंग भी नजर आ रही है. इसे देखकर कहा जा रहा है कि शायद, ये कतर की कोई ऐसी जगह थी, जहां पर विश्वकप से जुड़े प्रोग्राम होने थे.
कतर ने अपने देश में एक ऐसे व्यक्ति को उपदेश देने के लिए बुलाया है, जिसकी एंट्री कई देशों ने प्रतिबंधित की हुई है. कतर, जाकिर नाइक जैसे व्यक्ति को इस्लामिक उपदेशक बता रहा है, जबकि कई देशों में उसके भाषणों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. कभी कभी लगता है कि कतर जानबूझकर भारत को निशाना बनाकर इस तरह की चीजें करता रहता है.
आपको याद होगा कि नुपूर शर्मा के बयान पर जब अरब देशों में बवाल मचा था, तो उसका अगुवा कतर ही था. कतर ने ही भारतीय राजदूत को बुलाकर, नुपूर शर्मा के बयान पर भारत सरकार का रुख पूछा था और अपना विरोध जताया था. जो कतर, पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी से नाराज हो गया था, वही कतर अब एक ऐसे व्यक्ति को उपदेशक बनाकर बुला रहा है, जो दूसरे धर्मों का अपमान करने के लिए कुख्यात है.
जिस कतर में फुटबॉल विश्वकप जैसा बड़ा आयोजन हो रहा है, उसने एक ऐसे इस्लामिक उपदेशक को बुलाया है, जिसकी नजर में फुटबॉल खेलना हराम है. आपने सुना होगा कि प्रोफेशनल फुटबॉल खेलना, जाकिर नाइक जैसे इस्लामिक उपदेशक की नजर में हराम है, लेकिन वही जाकिर नाइक, कतर का गेस्ट है, जिन्हें फुटबॉल विश्व कप में इस्लाम पर उपदेश देना है. यानी जाकिर नाइक को, अपने-अपने देश के लिए प्रोफेशनल फुटबॉल खेलने वालों को इस्लाम का उपदेश देना है. हम ये जानना चाहते हैं, कि क्या जाकिर नाइक प्रोफेशनल फुटबॉल खिलाड़ियों से कहेगा कि वो गलत कर रहे हैं. क्या फुटबॉल विश्वकप का मेजबान देश कतर, प्रोफेशन फुटबॉल को हराम बताने वाले उपदेशों को सही मानता है?
कतर, अपने देश में इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाइक से इस्लाम की विशेषताएं गिनाने का प्रोग्राम बना रहा है, लेकिन उसके पड़ोसी देश में हिजाब को लेकर बवाल मचा हुआ है. इस्लामिक देश ईरान में महिलाएं, शरिया कानून वाली सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई हैं. हिजाब को चॉइस बताने वाले इस्लामिक उपदेशक, महिलाओं पर हिजाब वाली जबरदस्ती के खिलाफ, एक शब्द नहीं कह पा रहे हैं. ईरान की फुटबॉल टीम ने आज अपने देश की महिलाओं के हिजाब विरोध का समर्थन किया है. आज उन्होंने अपने देश के सुप्रीम लीडर को एक ऐसा सांकेतिक विरोध जताया है. इतने बड़े मंच से खिलाड़ियों का ये संदेश, काफी अहम माना जा रहा है.