शामली। जिले में चालू हुए पहले टोल को लेकर हंगामे की स्थिति पैदा हो गई है। टोल वसूली के विरोध में क्षेत्र के लोग उतर आए है।
एक सप्ताह पूर्व ही पटनी-परतापुर में टोल टैक्स को शुरू कराया गया था। टोल के आसपास रहने वाले ग्रामीण टैक्स में छूट की मांग को लेकर आए दिन हंगामा कर रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि दो से तीन किलोमीटर के एरिया में निवास करने वाले ग्रामीणों को टोल टैक्स में छूट दी जाए।
पटनी-परतापुर के ग्राम प्रधान फूल कुमार ने कहा कि टोल पर आईडी देखने के बाद ग्रामीणों को टैक्स में छूट मिलनी चाहिए। क्योंकि ग्रामीण अपने खेतों में काम करने के लिए भी जाते है, कई बार उन्हें खेत में जाना पड़ता है।
इससे ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों का इतना तो हक बनता है कि ग्राम पंचायत के लोगों को फ्री में आने-जाने दिया जाए। इरफान अल्वी का कहना है कि गांव के लोग आधार कार्ड पर ही निकलेंगे। कोई शुल्क वाला पास भी नहीं बनवाया जाएगा। टोल प्लाजा कंपनी ने ग्रामीणों को रोका तो टोल नहीं चलने दिया जाएगा।
ग्राम पंचायत सिंगरा के ग्राम प्रधान रामवीर सिंह का कहना है कि टोल प्लाजा के आसपास के गांव वालों को टोल प्लाजा बनवाने से पहले ही अधिकारियों ने आश्वस्त कर दिया था कि टोल के नजदीक वाले गांव से शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके बाद भी टोल कर्मचारी हमारे लोगों को टोल देने पर बाध्य करते हैं तो टोल पर धरना प्रदर्शन करेंगे।
कस्बा निवासी हाजी सलीम कुरैशी, गांव लक्ष्मणपुर निवासी चरण सिंह कश्यप का कहना है कि मात्र दो किलोमीटर दायरे में रहने वालों से भी टोल वसूला जा रहा है। फास्ट टैग लगा होने से टैक्स अपने आप ही कट जाता है। जिसका 10 मिनट बाद मेसेज मिलता है।
टोल प्लाजा के मैनेजर अजय सिंह ने बताया कि एनएचआईए की ओर से अभी तक क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं आई है। 330 रुपये में एक महीने का अनलिमिटेड पास बनाया जा रहा है। जो काफी लोग बनवा भी चुके हैं।
शामली-दिल्ली हाईवे पर जिवाना टोल के मैनेजर बादल सिंह ने बताया कि टोल से तीन किलोमीटर के एरिया रहने वाले ग्रामीणों से टोल टैक्स नहीं वसूला जाता। आधार कार्ड देखकर उन्हें छूट दी जाती है। जबकि 20 किलोमीटर के एरिया में रहने वाले ग्रामीणों को महीने का 330 रुपये का पास जारी किया जाता है।
डीएम रविंद्र सिंह का कहना है कि टोल से 20 किलोमीटर के एरिया में रहने वाले ग्रामीणों का 330 रुपये का मंथली पास बनाने का नियम है। तीन किलोमीटर के एरिया में रहने वाले ग्रामीणों के संबंध में एनएचएआई के अधिकारियों से जानकारी की जाएगी। प्रयास रहेगा कि ग्रामीणों को परेशानी नहीं होने दी जाए।