मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी मंजर शायर अशोक साहिल के इस शेर की नुमाइंदगी करता नजर आ रहा है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में टिकट की बिसात पर सबने अपनी चाल चली। कुछ आगे निकल गए तो कुछ पिछड़ गए। प्रचार का रणसिंघा गूंजते ही शह-मात और भितरघात का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसके तहत टिकट न मिलने से अंतर्कलह, गुटबाजी और वजूद की लड़ाई की गुंजाइश बढ़ गई है। इस सियासी तापमान से प्रत्याशियों की पेशानी पर पसीना झलक रहा है।
मेरठ
मेरठ में टिकट को लेकर समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह भी सामने आ गई। भानु प्रताप सिंह का टिकट काटकर अतुल प्रधान को दिया गया तो टिकट के दावेदार योगेश वर्मा ने खुला विरोध कर दिया। कहा कि दलित समाज के साथ धोखा हुआ है। दलित समाज के व्यक्ति का टिकट कटा तो उसी बिरादरी के ही किसी उम्मीदवार को टिकट मिलना चाहिए था। आखिरकार तमाम रस्साकसी के बाद सुनीता वर्मा का टिकट फाइनल हो गया। इससे अतुल प्रधान खेमे में मायूसी छा गई। अतुल प्रधान ने त्यागपत्र की चेतावनी तक दे डाली। टिकट की स्थिति स्पष्ट होने के बाद अतुल प्रधान और योगेश वर्मा ने फौरी तौर पर सकारात्मक बयान दिया है और अपने सभी गिले-शिकवे दूर करने की बात कही है। जिन हालात में टिकट दिया और फिर कटा, इस सबके मद्देनजर इन दोनों दिग्गजों के बयान की जमीनी हकीकत से सब वाकिफ हैं।
राजनीतिक पंडित सपा में टिकट को लेकर हुए घमासान के असर के आसार जता रहे हैं। सपा का भितरघात वोटिंग के दिन क्या गुल खिलाएगा यह तो चार जून को ही पता चल सकेगा। उधर, बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी के लिए संगठन को एकजुट करना और दलित वोट बैंक सहेजना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है। वहीं, भाजपा ने अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाया तो इसका विरोध सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला। लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री की रैली हुई और पार्टी के सभी नेता एक मंच पर नजर आए। पार्टी की अंदरूनी कलह तो कोई सामने नहीं आई लेकिन इसे लेकर पार्टी सतर्क जरूर हो गई।
बिजनौर व नगीना
बिजनौर रालोद एवं नगीना सुरक्षित सीट भाजपा के हिस्से में आई है। सीट रालोद के हिस्से में जाने से भाजपा के दावेदार मायूस हुए। ऐसे में भाजपा के नेताओं को साथ लेकर चलना चुनौती है। बिजनौर सीट पर सपा ने भी बार-बार टिकट बदला है। नगीना में भी सपा के टिकट के लिए कई दावेदार मैदान में थे। सभी को मनाकर चलना एक चुनौती दिखाई दे रहा है। क्योंकि सपा से टिकट के लिए विधायक, पूर्व सांसद समेत कई बड़े दिग्गज नेता लाइन में थे। बिजनौर और नगीना लोकसभा सीट पर प्रत्याशी व पार्टी सभी को साथ लेकर चलने के लिए मान-मनौव्वल करने में लगी हुई है।
मुजफ्फरनगर
मुजफ्फरनगर लोकसभा के चुनाव पर वर्ष 2022 में चरथावल, बुढ़ाना, खतौली और सरधना विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की हार का असर भी दिख रहा है। रालोद के साथ गठबंधन से भाजपा प्रत्याशी जरूर राहत में होंगे। मढ़करीमपुर गांव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. संजीव बालियान के काफिले पर हमला हुआ। अगले ही दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व विधायक संगीत सोम और प्रत्याशी बालियान के साथ मेरठ में बातचीत भी की। मढ़करीमपुर की घटना के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियों में प्रकरण को दोनों नेताओं के बीच वजूद की लड़ाई से भी जोड़कर देखा गया। पूर्व सांसद एवं सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक अपने विधायक बेटे पंकज मलिक के साथ चुनावी साइकिल चलाते दिख रहे हैं। असल में हरेंद्र मलिक सपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में लंबे समय तक सक्रिय रहे। उनका अपना वजूद भी है। ऐसे में संगठन की राजनीति में उनके बढ़ते प्रभाव से भी कई बार सपा में खेमाबंदी भी नजर आई। कांग्रेस के पुराने नेताओं को एकजुट कर चुनाव प्रचार के मैदान में उतारना मलिक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को मैदान में उतारा है। चुनाव से कुछ ही दिन पहले आए मैदान में उतरे प्रजापति से अभी तक किसी की नाराजगी नहीं दिखी, लेकिन पुराने बसपा नेताओं को एकजुट करना उनके लिए भी आसान नहीं होगा।
सहारनपुर
भाजपा से राघव लखनपाल शर्मा, सपा-कांग्रेस से इमरान मसूद व बसपा से माजिद अली प्रत्याशी हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष चौधरी मुजफ्फर अली को हटाए जाने को लेकर मुस्लिम गुर्जर समाज में नाराजगी है। हालांकि, अभी कोई खुलकर सामने नहीं आया, लेकिन पार्टी हाईकमान के प्रति अंदरुनी नाराजगी पनप रही है। सपा के वरिष्ठ नेता चौधरी इंद्रसेन ने मसूद परिवार को विभाजनकारी सोच वाला बताया और स्पष्ट किया कि इमरान मसूद को समर्थन का कोई इरादा नहीं है।
– बसपा ने वर्तमान सासंद हाजी फजलुरर्हमान को टिकट नहीं दिया, जबकि उम्मीद थी कि फजलुरर्हमान ही चुनाव लड़ेंगे। बसपा हाईकमान ने वर्तमान सांसद की जगह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि माजिद अली को प्रत्याशी बनाया है। अभी तक सांसद हाजी फजलुरर्हमान बसपा प्रत्याशी के साथ नजर नहीं आए हैं।
– भाजपा के प्रति राजपूत समाज में नाराजगी है। राजपूत समाज के लोगों का कहना है कि उन्हें भाजपा प्रत्याशी से दिक्कत नहीं है, लेकिन संगठन में अनदेखी के चलते रोष है। इसको लेकर राजपूत समाज ने सात अप्रैल को नानौता में कार्यक्रम रखा है।
बागपत
लोकसभा सीट पर पिछले दो बार से भाजपा का कब्जा था तो इस बार गठबंधन के कारण यह सीट रालोद के खाते में चली गई। यहां से रालोद ने डाॅ. राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा हुआ है। रालोद का भाजपा के साथ भले ही गठबंधन हो गया हो, मगर स्थानीय स्तर पर नेताओं में खींचतान चल रही है, जिससे भितरघात का डर रालोद को सता रहा है। इसके अलावा टिकट मांग रहे रालोद के कई नेता भी भितरघात कर सकते हैं।
– सपा ने पहले जाट बिरादरी से अपने पुराने कार्यकर्ता मनोज चौधरी को प्रत्याशी बनाया था। जिसके बाद अमरपाल शर्मा ने भी दावेदारी कर दी तो जातीय समीकरण और ब्राह्मण वोटरो को देखते हुए अखिलेश यादव ने अमरपाल को तैयारी करने की बात कहते हुए भेज दिया। मगर पिछले दो दिन से सिम्बल लेने को लेकर खीचतान चल रही थी और मनोज व अमरपाल शर्मा दोनों ने लखनऊ में डेरा डाला हुआ था। आखिरकार अमरपाल शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। उधर, बसपा प्रत्याशी प्रवीण बंसल का प्रचार सहजभाव से चल रहा है।
कैराना
कैराना लोकसभा सीट पर सभी प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं। सीट पर 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। भाजपा से प्रदीप चौधरी, सपा से इकरा हसन, बसपा से श्रीपाल राणा और छह निर्दलीय प्रत्याशी भी किस्मत आजमा रहे हैं। टिकट नहीं मिलने और गुटबाजी के कारण प्रत्याशियों को भितरघात का भी सामना करना पड़ रहा है। भाजपा से कई दावेदार टिकट की लाइन में थे, मगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिस कारण वह नाराज चल रहे हैं। भाजपा के एक कद्दावर नेता के परिवार के सदस्य भी दावेदार की दौड़ में थे। इसी तरह सपा से भी कई दावेदार लाइन में थे मगर उन्हें भी टिकट नहीं मिला। इसके अलावा कांग्रेस ने हाल ही में दीपक सैनी को जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया है। अब अखलाक को जिम्मेदारी सौंपी है। एक पक्ष जिलाध्यक्ष का विरोध कर रहा है। कांग्रेस के किसी भी प्रत्याशी को टिकट नहीं देने को लेकर भी कई कार्यकर्ता नाराज हैं। इसी तरह बसपा से भी तीन दावेदार लाइन में थे, जिनसें भीतरघात की आशंका है। हालांकि, रुठे कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए भाजपा से गन्ना मंत्री लक्ष्मीनारायण, मंत्री नरेंद्र कश्यप, पूर्व एमएलसी सुरेश कश्यप मैदान में उतर चुके हैं। सपा से हालांकि अभी कोई कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए मैदान में नहीं आया है। बसपा सुप्रीमो मायावती की सहारनपुर रैली में सभी कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है।