मुजफ्फरनगर. सीबीआइ की तरफ से अधिवक्ता नियुक्त नहीं होने के कारण चर्चित रामपुर तिराहा कांड में मामले की कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए पांच जुलाई की तिथि निर्धारित की है।
उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर एक अक्टूबर 1994 की रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने गोली चला दी थी। गोलीबारी में सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। शुरुआती दौर में स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की थी, लेकिन 1995 में यह मामला सीबीआइ के हवाले कर दिया गया था।
सीबीआइ इस मामले में सात मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है। सोमवार को कोर्ट में मामले की सुनवाई थी, लेकिन सीबीआइ ने अभी तक कोर्ट में पैरवी करने के लिए अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया है।
इस कारण सोमवार को मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। उत्तराखंड आंदोलनकारी संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच जुलाई की तिथि तय की गई है।
उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर शहीद हुए आंदोलनकारियों की याद में रामपुर तिराहा पर शहीद स्मारक बनाया गया है। हर साल दो अक्टूबर को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रामपुर तिराह शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दौरान शहीदों के स्वजन को सम्मानित भी किया जाता है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश मदनपाल सिंह ने पुरानी रंजिश को लेकर हत्या करने के मामले में आरोपित रफत और रियासत की जमानत निरस्त कर दी। वहीं कोर्ट ने जानलेवा हमले में एक को घायल करने में आरोपित चंदू उर्फ अभिषेक की जमानत भी निरस्त कर दी है।