मुज़फ्फरनगर : मुजफ्फरनगर में 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार मतदान की रफ्तार काफी धीमी रही। वहीं, मतदान की धीमी रफ्तार ने सियासी क्षत्रपों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। उधर, ठाकुर समाज भी बंटता नजर आया।
मुजफ्फरनगर में मतदान की धीमी रफ्तार ने सियासी क्षत्रपों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। मतदाताओं के बीच उथल-पुथल से समीकरण उलझ गए हैं। जाट और गुर्जरों का रुझान जरूर भाजपा की तरफ दिखा, लेकिन ठाकुर समाज के मतदाता भाजपा और सपा के बीच बंटते नजर आए। मुस्लिम क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी का जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला। हालांकि, चंद स्थानों पर मुस्लिम मतदाताओं में भाजपा की सेंधमारी नतीजों का रोमांच बढ़ाएंगे। अनुसूचित जाति और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का रुझान निर्णायक साबित हो सकता है।
राजपूत वोट बैंक के बिखराव से भाजपा को नुकसान संभावित है। गठवाला और बालियान चौरासी क्षेत्र के जाट मतों की अधिकता वाले गांव में भाजपा बढ़त बनाती नजर आई।
बुढ़ाना विधानसभा के खरड़, फुगाना, काकड़ा, सोरम, खेड़ा मस्तान, भौराकलां, सिसौली, करौदा महाजन, गढ़ी नौआबाद और जैतपुर में भाजपा-रालोद के गठबंधन का असर दिखा। खतौली क्षेत्र के गुर्जर समाज में भाजपा की बढ़त रही और सपा ने भी सेंधमारी की।
मुजफ्फरनगर और बिजनौर लोकसभा के हिसाब से सैनी समाज अलग-अलग पैटर्न पर मतदान करता नजर आया। मुजफ्फरनगर के गांव तिगरी, गुनिया जुड्डी, जसोई, बघरा, लुहसाना, सराय, नीमखेड़ी, परासौली, हबीबपुर, बड़सू सिकंदरपुर और अभीपुरा में भाजपा की तरफ रुझान दिखा, लेकिन बिजनौर लोकसभा की मीरापुर और पुरकाजी सीट पर सैनी समाज भाजपा और सपा के बीच बंटता नजर आया।
मुजफ्फरनगर लोकसभा में कम मतदान प्रतिशत और जातीय समीकरण में उलझ गया है। भाजपा के रणनीतिकारों की निगाह मुस्लिम मतों पर टिकी है। दरअसल, समाजवादी पार्टी इस वोट बैंक पर पूरी तरह अपने पक्ष में होने का दावा कर रही है, लेकिन भाजपा के रणनीतिज्ञ भी मुस्लिम मतदाताओं का कुछ हिस्सा अपने पक्ष में होने का अनुमान लगा रहे हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दलित समाज का वोट बैंक भाजपा और रालोद के बीच बंट गया था। इस बार बसपा ने चुनाव लड़ा तो नए समीकरण बनें। अनुसूचित जाति के मतदाता बसपा की तरफ लौटते नजर आए। साथ ही प्रजापति समाज के अधिकतर वोटर भी दलितों के साथ गए। ऐसे में अति पिछड़ा वर्ग में बसपा की सेंधमारी पर सबकी निगाह टिक गई है।
इनमें चरथावल और सरधना सीट सपा के कब्जे में है। दोनों सीटों पर जीत-हार का अंतर ही लोकसभा के नतीजे तय कर देगा। सरधना विधानसभा सीट पर चौबीसी में क्षत्रिय और त्यागी समाज के वोटों में जमकर बिखराव हुआ। दलित समाज बसपा के पक्ष में लामबंद होता नजर आया। दीगर बिरादरी और अतिपिछड़ों ने भाजपा के पक्ष में ज्यादा रूचि दिखाई।