लखनऊ। जैसे-जैसे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की आहत तेज हो रही है वैसे ही समाजवादी पार्टी के भीतर व बाहर बेचैनी बढ़ती जा रही है। वजह है ‘इंडिया’ गठबंधन की तस्वीर जो अब तक साफ नहीं हो पाई है।
पार्टी के भीतर टिकट के दावेदार इसीलिए असंजस में हैं, तो सपा के घटक दल भी कम चिंतित नहीं हैं। अब सपा के सहयोगी महान दल ने सीटों पर जल्द निर्णय लेने को कहा है। वहीं राष्ट्रीय लोकदल भी चाहता है कि सीट शेयरिंग का मामला जल्द तय हो जाए। ‘इंडिया’ गठबंधन में मोटे तौर पर यह सहमति तो बनी है कि जहां तक संभव हो सके भाजपा के खिलाफ हर सीट पर गठबंधन की ओर से संयुक्त प्रत्याशी हो।
पर इसमें कई पेंच है और कांग्रेस हो या घटक दल इस पर सहमत होने के बावजूद बड़ा दिल दिखाने को तैयार नहीं दिखते। विधानसभा चुनाव में सहयोगियों को साथ न लेकर अकेले चुनाव लड़ कर कांग्रेस तीन राज्यों में चुनाव हार गई केवल तेलंगाना में वह सरकार बनाने में कामयाब रही। सपा के लिए मुश्किल यह है कि अभी इंडिया गठबंधन में मुख्य धूरी कांग्रेस की ओर से सीट शेयरिंग को लेकर बहुत जल्दी नहीं दिखती है।
उसने इस मुद्दे पर पहले कहा था कि इस पर विधानसभा चुनाव के बाद चर्चा होगी। विधानसभा चुनाव होने के बाद जो बैठक बुलाई, उसमें कई घटक दलों ने आने से पहले ही इंकार कर दिया। अब माना जा रहा है कि गठबंधन की बैठक जल्द होगी। अखिलेश यादव 65 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
सपा में टिकट के दावेदारों में बैचेनी है कि वह कौन सी 15 सीटें हैं जो गठबंधन में जानी हैं। इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति है। गठबंधन में अभी कांग्रेस व अन्य सहयोगियों के साथ कड़ा मोलभाव भी होना है। माना जा रहा कि दिसंबर के आखिरी वक्त तक कुछ तस्वीर साफ हो सकती है।
सपा के पुराने सहयोगी रालोद ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों के बंटवारे की प्रक्रिया में तेजी लाने का काम करे। यही बात महान दल ने भी कही है। महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने हाल में कहा, समाजवादी पार्टी एक महीने के भीतर सीटों का बंटवारा कर सारे विवाद को समाप्त करे।
अन्यथा गठबंधन से अलग होकर चुनाव की तैयारी में जुटे। कांग्रेस अंतिम समय तक सबको उलझा कर रखेगी जिससे विपक्षी दलों का माहौल न बनने पाए और जनता का मूड खराब हो। इस लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को कुछ अच्छा करना है तो एक महीने के अंदर ही सीटों का बंटवारा कर सारे विवाद को समाप्त करे या अलग होकर चुनाव की तैयारी में जुटे।
लोकसभा चुनाव-2024 में यदि अखिलेश यादव पुनः छोटे दलों को साथ लेकर चाक-चौबंद रणनीति बनाकर लड़ते हैं तो समाजवादी पार्टी को 40-50 लोकसभा सीट जीतने से कोई नहीं रोक पाएगा। महान दल वैसे तो फिर सपा के साथ आ गया है लेकिन महान दल की सहानुभूति बसपा के प्रति भी दिखती है।