मुज़फ्फरनगर। अदालत ने रामपुर तिराहा कांड में सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पीएसी के दो सिपाहियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं, अदालत ने फैसले में लिखा कि राष्ट्रपिता की जयंती पर रामपुर तिराहा कांड मानवता को शर्मसार करने वाला है।
मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड के फैसले में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपिता की जयंती पर रामपुर तिराहा कांड मानवता को शर्मसार करने वाला है।
अदालत ने अपने 108 पेज के फैसले में यह भी लिखा है कि घटना गांधी जयंती के दिन कारित हुई है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जो सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए आमजन को प्रेरित करते थे, जिन्होंने असंख्य आंदोलन देश को आजाद कराने के लिए किए। ऐसी महान विभूति की जयंती के दिन आंदोलन में भाग लेने जा रही महिला के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ एवं लूट जैसा जघन्य अपराध पूरी मानवता को शर्मसार करने वाला है।
अभियुक्तगण ने पृथक राज्य की मांग को लेकर आंदोलन में जा रही महिला आंदोलनकारी के साथ बर्बरता एवं अमानवीय व्यवहार किया। शांतिपूर्ण आंदोलन में नियमों के अधीन रहते हुए भाग लेना किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।
इस मौलिक अधिकार के हनन हेतू किसी भी व्यक्ति को किसी महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसा पाश्विक कृत्य कारित करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसा व्यक्ति यदि पुलिसबल का भाग है, तब उसके अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है।
अपराध करने वाले कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे, बल्कि उनके कंधों पर आमजन की हिफाजत की जिम्मेदारी थी। ऐसा व्यक्ति यदि स्वयं दुष्कर्म जैसी घटना में शामिल होता है तो यह पूरी व्यवस्था के लिए अत्यंत पीड़ादायक है।
उत्तर प्रदेश पुलिसबल देश का सबसे बड़ा पुलिसबल है, जिसने अनेक जांबाज पुलिस अधिकारी व कर्मी दिए हैं। आमजन की हिफाजत करने के लिए पता नहीं कितने पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। ऐसे गौरवशाली पुलिसबल का भाग होते हुए भी जिस प्रकार का आचरण अभियुक्तगण मिलाप सिंह एवं वीरेंद्र प्रताप द्वारा दिखाया गया है, वह उनको इस न्यायालय की किसी भी प्रकार की सहानुभूति से वंचित कर देता है।
पुलिस अधिकारी व कर्मचारी से पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है। विचारण के दौरान जो संवेदनशीलता साक्षियों के प्रति उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में जनपद मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा दिखाई गई है, उसी जनपद की भूमि पर जिस तरह का आचरण अभियुक्त मिलाप सिंह व वीरेंद्र प्रताप द्वारा किया गया है, वह उनको कठोरतम दंड का भागी बना देता है।
जो घटना कारित हुई है, वह संपूर्ण जनमानस एवं इस न्यायालय की आत्मा को झकझोर देने वाली है और आजादी से पूर्व जलियावाला बाग की घटना को याद दिलाने वाली है। आजादी से पहले जब आमजन शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे, तब बेकसूर निहत्थे लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की घटना अंग्रेजी हुकूमत में की गई थी। आजादी के बाद रामपुर तिराहा जनपद मुजफ्फरनगर में जब आमजन आंदोलन करने के लिए देश की राजधानी दिल्ली जा रहे थे, तब पीड़ित महिला के साथ दुष्कर्म जैसी घटना कारित किए जाने की अनुमति सभ्य समाज नहीं देता है। शांतिपूर्ण आंदोलन किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है। इस अधिकार का प्रयोग करने जा रही एक महिला के साथ बलात्कार जैसी घटना पूर्णतया अप्रत्याशित, अकल्पनीय एवं मानवीय मर्यादाओं को तार-तार करने वाली है।