जयपुर. राजस्थान के जयपुर जिले में 32 साल के भतीजे ने हथौड़े से सिर पर वार कर 11 दिसंबर को ताई की हत्या कर दी। बाद में शव को मार्बल कटर से काटकर आठ टुकड़े किए और फिर जंगल में ठिकाने लगा दिया। 17 दिसंबर को पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पुलिस को वारदात के दिन का सीसीटीवी फुटेज भी हांथ लगा है, जिसमें आरोपी एक बैग में शव ले जाते हुए दिख रहा है। वहीं, पुलिस पूछताछ में आरोपी भतीजे ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
आरोपी अनुज शर्मा उर्फ अचिंत्य गोविन्द दास ने पुलिस को बताया कि उसने शव ठिकाने का तरीका श्रद्धा मर्डर केस से ही सीखा था। उसके अनुसार ही उसने पूरी योजना बनाई और मर्डर के बाद शव को ठिकाने लगाया। बाद में ताई की बेटियों के आने के बाद वह हरिद्वार चला गया।
बैग में रखकर शव ले जाता आरोपी।
10 दिसंबर को आरोपी अनुज शर्मा के पिता ब्रदीप्रसाद बेटी शिवी के साथ उसकी शादी की बात करने इंदौर चले गए थे। घर पर अनुज और उसकी ताई सरोज शर्मा ही थीं। 11 दिसंबर की सुबह करीब 10:30 बजे अनुज ने ताई सरोज से कहा कि वह दिल्ली में कीर्तन के लिए जा रहा है। ताई सरोज ने जाने के लिए मना कर दिया। इसे लेकर दोनों की बहस शुरू हो गई। जिससे गुस्साया अनुज कमरे से हथौड़ा लेकर आया और रसोई में काम कर रहीं सरोज देवी के सिर पर एक बाद एक कई वार किए। लहूलुहान हालत में वह जमीन पर गिर गईं और उनकी मौत हो गई।
हत्या के बाद आरोपी अनुज ताई सरोज के शव को ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा तो उसे श्रद्धा मर्डर केस याद आया। इसके बाद उसने शव के टुकड़े कर उसे ठिकाने लगाने की योजना बनाई। रसोई से लाश खींचकर वह बाथरूम में ले गया और बाहर से उसका दरवाजा बंद कर दिया। फिर खून से सने कपडे़ बदलकर वह बाजार गया और एक बड़ा चाकू लेकर आया। इसके बाद हत्यारे अनुज ने शव का चाकू से काटना शुरू किया, लेकिन हड्डियां काटने में उसे परेशानी हो रही थी। वह फिर बाजार गया और मार्बल काटने वाला कटर ले आया। उससे शव के आठ टुकड़े किए।
शव के बड़े टुकड़ों को एक सूटकेस में बंद किया और कुछ छोटे टुकड़ों को एक बाल्टी में रखकर पॉलीथिन से बंद कर दिया। हत्यारा अनुज शव ठिकाने लगाने के लिए निकलने वाला ही था, तभी घर पर मेहमान आ गए। अनुज ने उन्हें बताया कि ताई बाहर गईं हैं। कुछ देर रुकने के बाद वे चले गए। शाम करीब 4:30 बजे आरोपी बैग और बाल्टी लेकर नीचे आया और शव ठिकाने लगाने के लिए कार से निकल गया।
विद्याधर नगर के सेक्टर-2 स्थित लालपुरिया अपार्टमेंट से बाहर निकलने के बाद वह गूगल मैप की मदद से दिल्ली-सीकर हाईवे पर पहुंचा। जंगल को देखकर हत्यारे अनुज ने यहीं शव को ठिकाने लगाने की सोची। कार से उतरकर वह सूटकेस और बाल्टी को जंगल में करबी 200 मीटर अंदर ले गया। जहां वन विभाग की चौकी के पीछे उसने शव के टुकड़े अलग-अलग जगह फेंके। बाद में बाल्टी की मदद से उनपर मिट्टी डालकर दबा दिया।
वापस आने के बाद उसने सूटकेस और बाल्टी को धुलकर घर में रख दिया। रसोई, बाथरूम सहित अन्य जगहों पर लगे खून को साफ किया। जिसके बाद ताई के लापता होने की झूठी कहानी पड़ोसियों को सुना दी। शातिर हत्यारे अनुज ने उन्हें बताया कि ताई दोपहर करीब 2-3 बजे ताई मंदिर गई थीं। अब तक वापस नहीं लौटीं हैं। इसके बाद उन्हें तलाश करने का नाटक करता रहा, और फिर रात को थाने में गुमशुदगी दर्ज करवा दी थी।
हत्यारे अनुज शर्मा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उसके पिता बद्रीप्रसाद पंजाब नेशनल बैंक में एजीएम के पद से रिटायर हुए हैं। उसकी मां की अनुराधा की कोरोना काल में मौत हो गई थी। उसकी एक बड़ी बहन भी है। उधर, 1995 में ताऊ की मौत के बाद ताई सरोज देवी अपने देवर बद्रीप्रसाद के घर में ही रहती थीं। उनकी दो बेटियां और एक बेटी है। बेटी पूजा शादी के बाद बीकानेर और मोनिका अजमेर में अपने ससुराल में रहती हैं। वहीं, बेटा अमित कनाड़ा में रहकर नौकरी कर रहा है।
सरोज देवी की बेटी पूजा ने पुलिस को बताया कि 12 दिसंबर को अनुज ने उसे कॉल कर कहा कि बड़ी मम्मी 11 दिसंबर की दोपहर से कहीं चली हैं। थाने में उनके लापता होने का केस दर्ज करा दिया है। पूजा ने इसकी जानकारी अपने बड़ी बहन मोनिका को दी तो वह चाचा के घर आ गई। 13 दिसंबर को मोनिका ने अनुज को दीवार पर लगे खून के धब्बे साफ करते देखा। इससे मोनिका का शक उस पर गहरा गया। मोनिका ने बहन पूजा को इसकी जानकरी दी तो वह भी 15 दिसंबर को घर आ गई। इस दौरान मोनिका ने पूजा को बताया कि अनुज हरिद्वार गया है। 16 दिसंबर को दोनों बहनें थाने पहुंची और भाई पर मां की हत्या करने का शक जताया। पुलिस उसके हरिद्वार से आते ही उसे हिरासत में ले लिया। जिसके बाद पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।