मेरठ। भवन, सुरक्षा और वाहनों में पत्थर की चोट झेलने वाले शीशे के लिए चीन से आयात होने वाली पॉलीविनाइल ब्यूट्रील (पीवीबी) शीट से देश को जल्द मुक्ति मिल जाएगी। चौधरी चरण सिंह विवि के केमेस्ट्री विभाग में विकसित नई तकनीक सोमवार को लुधियाना की सिद्धिविनायक इंटरप्राइजेज ने 50 लाख रुपये में खरीद ली। विवि और कंपनी के बीच हुए इस तकनीकी हस्तातंरण के बाद कंपनी विवि द्वारा विकसित तकनीक आरकेएसएमटी से बिना चीनी फिल्म के ही पत्थर की चोट झेलने वाले ग्लास बना सकेगी। यह ग्लास ना केवल सस्ते होंगे बल्कि चीनी फिल्म की तुलना में अधिक मजबूत भी। विवि में पहली बार किसी इंडस्ट्री ने इस तरह तकनीक खरीदी है।
विवि के लिए बड़ी उपलब्धि
सोमवार को हुए तकनीकी हस्तातंरण में कंपनी के सीईओ हिमांशु गर्ग, कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला और तकनीक के इनोवेटर्स प्रो.आरके सोनी एवं डॉ.मीनू तेवतिया मौजूद रहीं। कंपनी ने कुलपति को इस तकनीक की एवज में 50 लाख रुपये का चेक सौंपा। प्रो. सोनी एवं डॉ.मीनू तेवतिया को रॉयल्टी मिलेगी। इन दोनों के पास ही इस तकनीक का पेटेंट है। 2015 में डीएसटी एवं सिद्धिविनायक इंडस्ट्रीज ने डेवलपमेंट ऑफ नोवल यूपी एंड थर्मल क्यूरेबल फॉर्मूलेशन फॉर ग्लास फॉर स्ट्रक्चरल एंड आर्किटेक्चरल एप्लीकेशन्स का प्रोजेक्ट प्रो.आरके सोनी को सौंपा था।
अभी ऐसे बनता है ग्लास
अभी सिक्योरिटी, ऑटोमोबाइल और आर्किटेक्चरल इंडस्ट्री में जो ग्लास प्रयुक्त होता है वह पॉलीविनाइल ब्यूट्रील से बनता है जो आंतरिक परत के रूप में प्रयुक्त होती है। यह शीट चीन से आयात होती है। सुरक्षित ग्लास के निर्माण के लिए यह शीट धुरी है। इससे बने उत्पाद रेलवे, ऑटोमोबाइल, ऊंची इमारत, रक्षा, विमान, समुद्री जहाज एवं और घरेलू क्षेत्र में प्रयुक्त होते हैं। नई तकनीकी में लेमिनेटिड ग्लास के लिए चीन से आने वाली शीट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला ने आविष्कारक प्रो.सोनी एवं डॉ.तेवतिया को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लैमिनेटेड शीशा अब देश में ही तैयार किया जा सकेगा। इससे देश आत्मनिर्भर बनेगा। प्रो.शुक्ला ने शिक्षकों से अपने शोध कार्यों को लैब से लैंड तक पहुंचाने को प्रेरित किया। हिमांशु गोयल ने कहा कि कंपनी इस उत्पाद का जल्द व्यवसायिक उत्पादन करेगी और उपभोक्ताओं तक यह जल्द पहुंचेगा। प्रो.वाई विमला, प्रो.मृदुल गुप्ता, प्रो.हरे कृष्णा, चीफ प्रॉक्टर प्रो. वीरपाल सिंह, डॉ. नीरज सिंघल, डॉ. स्वाति सिंह, डॉ. नाज़िया तरन्नुम, डॉ. प्रियंका, डॉ. मनीषा, डॉ. मुक्ति, मोहित चौहान, डॉ. प्रियंका कक्कर मौजूद रहीं।