नई दिल्ली. ‘अराउंड दी वर्ल्ड इन 8 डॉलर’ फिल्म में राजकपूर साहब जेब में 8 डॉलर लेकर दुनिया का चक्कर लगाते हैं. फिल्म में यह कारनामा जब इतना रोमांचित करता है तो सोचिए कोई इसी तरह का कुछ करे तो वह कितना रोमांच भरा होगा. खास बात यह है कि यह सफर कोई एक साल, दो साल या 10 साल का नहीं, बल्कि पूरे 22 साल का था. अर्जेंटिना के एक कपल ने अपने बच्चों के साथ यह लंबा सफर पूरा किया है.
5 महाद्वीपों का यह सफर उन्होंने एक पुरानी साल 1928 की बनी गाड़ी में तय किया. साल 2000 में शुरू हुआ यह सफर इस साल ठीक 22 साल बाद खत्म हुआ. जब दोनों घर से निकले थे तो सिर्फ दोनों ही थे, लेकिन अब उनके बच्चे भी हो गए हैं और वे भी बड़े हो गए हैं. जैप परिवार के हर्मन और केंडेलेरिया ने अपने बच्चों के साथ इन 22 सालों में कुल 362,000 किमी का सफर तय किया. जो उरुग्वे की सीमा से लगे उनके गांव में जाकर पूरा हुआ. यहीं सीमा पर बने गांव से इन्होंनें साल 2000 में Buenos Aires से अपना सफर शुरू किया था.
सफर के खत्म होने की खुशी भी है गम भी
हर्मन का कहना है कि इस सफर के खत्म होने के बाद उन्हें दुख भी है और खुशी भी. अब क्या करेंगे जैसी बातें भी उनके दिमाग में चल रही है. 53 साल के हर्मन अब नाव से दुनिया का चक्कर लगाने का मन बना रहे हैं. वहीं कैंडेलेरिया जो जब इस सफर पर निकली थीं0तो 29 साल की थी, उनका कहना है कि इस सफर की सबसे अच्छी बात रास्ते में मिले लोग हैं. लोगों की मानवता ने उन्हें बदल कर रख दिया है.
इस दंपति की शादी के 6 साल हुए थे, अच्छी नौकरी, बढ़िया घर था, तभी एक दिन सब कुछ बदल गया. इन्होंनें अपना सामान बांधा और अलास्का की यात्रा पर जाना तय किया और यहीं से इनका दुनिया का चक्कर लगाने का सिलसिला शुरू हुआ. किसी ने उन्हें इस यात्रा के लिए साल 1928 की बनी Graham-Paige अमेरिकी गाड़ी दी. इसका इंजन खस्ताहाल था और गाड़ी से पेंट उखड़ गया था. यहां तक की वह चालू भी नहीं हो रही थी. गाड़ी में ना ही एयरकंडीशन था और ना ही कुर्सियां. लेकिन इस कार ने इनका 22 साल तक साथ दिया. चाहे फिर शहर हो या कीचड़ से भरा रास्ता या फिर रेतीले मैदान. गाड़ी चलती रही.
5 महाद्वीप की यात्रा
22 सालों के इस सफर में गाड़ी के 8 बार पहिए बदले और दो बार इंजन में काम हुआ. इनके दो बच्चों का जन्म भी सड़क पर हुआ जिसमें से पंपा अब 19 और तेहुए 16 का है. जब पालोमा हुई तो इन्होंनें कार को कटवा कर इसमे जगह बनवाई, पालोमा अब 14 साल की है. पालोमा केनेडा में पैदा हुई. वहीं 12 साल के वालाबी ने ऑस्ट्रेलिया में जन्म लिया. यही नहीं इनके परिवार में दो सदस्य और भी थे जिन्होंनें इस सफर में इनका साथ दिया. टिमोन जो एक कुत्ता है और हाकुना जो बिल्ली है.
खाना पकाने और पानी गर्म करने के लिए यह लोग इंजन की गर्मी का इस्तेमाल करते थे. कपड़े और औजारों को सीट के नीचे रखा जाता था. इस तरह से 22 साल तक यह कार इनका घर रही. इस घर की खास बात यह थी कि यह कभी पहाड़ों के सामने होता था तो कभी समुद्र के किनारे. इस कार के एक तरफ लिखा हुआ था. एक परिवार जो दुनिया घूमने निकला है. जैप परिवार लोगों के यहां मेहमान बन कर रुकते थे. लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. हर्मन को सफर के दौरान मलेरिया हो गया. परिवार जब एशिया पार कर रहा था, तब वहां बर्डफ्लू का प्रकोप था. अफ्रीका में इबोला तो मध्य अमेरिका में डेंगू का सामना करना पड़ा. जैप ने अपने इस सफर को एक किताब की शक्ल भी दी है जिसका नाम है कैचिंग अ ड्रीम. इस किताब की अब तक करीब 1 लाख प्रतियां बिक चुकी हैं. इनकी यात्रा के दौरान पैसा कमाने का यही इनका मुख्य जरिया रहा.
5 महाद्वीप की यात्रा
इन्होंनें अपने सफर में अमेरिका, अफ्रीका, ओसिनिया, एशिया और यूरोप की यात्रा की. अपने सफर में यह माउंट एवरेस्ट तक पहुंचे. एशिया में बतख के अंडे खाए. नामीबिया में लोगों के साथा नाचा. इजिप्ट में राजा टुट के पिरामिड में गए. बच्चों के लिए यह एक कभी नहीं भूलने वाला अनुभव है. इस दौरान बच्चों ने खुद से ही पढ़ाई की जिसमें केंडेलेरिया ने उनकी मदद की.