बागपत। जनपद मुजफ्फरनगर व बागपत से होकर गुजरने वाले दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए मुआवजा वितरण की प्रक्रिया काफी तेज हो गई है। मुआवजे से संबंधित अधिकतर मामलों का समाधान होने के बाद अब बागपत में कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता काफी हद तक साफ हो गया है।
भारतमाला परियोजना में शामिल सरकार के प्रोजेक्ट दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के बनने का बागपत में रास्ता काफी साफ हो गया है। क्योंकि अधिकतर किसानों को मुआवजा मिल गया है। पिछले एक महीने में करीब 400 करोड़ रुपये मुआवजा बांटा गया, जिससे मुआवजा बांटने में बागपत पहले स्थान पर पहुंच गया है। इस तरह ही मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर को मुआवजा वितरण कर जल्द विवाद निपटाने के निर्देश शासन से दिए हैं।
दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए बागपत में मवीकलां से मुजफ्फरनगर की सीमा तक 32 गांवों के 5286 किसानों की 292 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है। इसके अलावा 23 हेक्टेयर सरकारी जमीन का अधिग्रहण भी हुआ है।
किसानों को जमीन का 824 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा दिया जाना था। किसानों को वर्ष 2021 के शुरूआत में मुआवजा वितरण शुरू किया था। किसान शुरूआत में मुआवजा लेने में रुचि नहीं दिखा रहे थे। वहीं प्रशासन के स्तर पर भी ढिलाई बरती जा रही थी। एक साल पहले तक करीब 300 करोड़ रुपये मुआवजा ही बांटा गया था। अब पिछले एक महीने में जिस तरह से प्रशासन ने मुआवजा वितरण में तेजी दिखाई है। उससे मुआवजा वितरण 700 करोड़ तक पहुंच गया है। एक महीने के अंदर ही 400 करोड़ रुपये मुआवजा बांटा है।
यहां ऐसी काफी जमीन है, जिसमें कई खातेदार हैं और उनमें से कुछ ने मुआवजे को लेकर आपत्ति दर्ज कराई हुई है। इसके अलावा ऐसे भी मामले हैं, जिनमें जमीन किसी अन्य के नाम है और उस पर किसी अन्य का है। इसके अलावा भी इस तरह के विवाद होने के कारण ही बाकी मुआवजा अटका हुआ है। जिस तरह से विवाद खत्म होता जाएगा, उसी तरह मुआवजा मिलता रहेगा।