नई दिल्ली। दुनिया में आज भी कई ऐसी जनजातियां रह रही हैं जो अपने पुराने तौर तरीकों को अपनाकर आगे चल रही हैं. इस जनजाति के लोग आज भी पुरानी मान्यताओं का पालन करते हैं और उन्हें इस बात से जरा भी फर्क नहीं पड़ता कि दूसरों की इसपर क्या प्रतिक्रिया होगी. ऐसी ही एक जनजाति पापुआ न्यू गिनी के ट्रोब्रायंड आईलैंड पर रहती है जहां रहने वाले लोगों को दुनिया के सबसे खुले विचारों के लोग समझा जाता है.
साउथ पैसिफिक के सोलोमन सागर में ट्रोब्रायंड आयलैंड मौजूद है जो पापुआ न्यू गिनी का आधिकारिक हिस्सा है. आइलैंड पर जो लोग रहते हैं उन्हें ट्रोब्राएंड जनजाति के लोग कहते हैं. इस जनजाति के लोगों के विचार काफी खुले हुए हैं. ये लोग शारीरिक संबंध या उससे जुड़े पहलुओं को टैबू नहीं मानते. यहां लड़की का आंकलन उसकी वर्जिटी से नहीं आंका जाता इसलिए लड़का हो या लड़की, करीब 6 साल की उम्र से ही वो एक दूसरे से संबंध बनाने लगते हैं.
लड़कियों को उसी उम्र से संबंध बनाने, बच्चे पैदा करने का भी ज्ञान देना शुरू कर दिया जाता है. इस जनजाति के लोग इन मुद्दों पर इतने खुले हैं कि यहां बुकुमाटुला नाम के खास घर गांव में बनाए जाते हैं जहां अविवाहित कपल जाकर संबंध बना सकते हैं. जनजाति के लोगों में शादी से पहले संबंध बनाने को जरा भी बुरा नहीं समझा जाता और ना ही इसपर किसी तरह की पाबंदी है. शादी से पहले तो छोड़िए, यहां शादी के बाद भी पति-पत्नी अपने पार्टनर को कभी भी बदल सकते हैं. अगर कोई अविवाहित लड़की या किसी दूसरे की पत्नी गर्भवती हो भी जाए तो माता-पिता बच्चों को संभालते हैं क्योंकि यहां ऐसी मान्यता है कि मर्द का काम औरत को मातृत्व सुख देने का ही है, बाकी सभी के पिता बालोमा यानी एक बुजुर्ग की आत्मा है जो उनके भगवान भी हैं.
यहां की एक और खासियत है. वो ये कि अगर दो गांवों के बीच किसी तरह का झगड़ा या मतभेद होता है तो उसका हल क्रिकेट के खेल के जरिए निकाला जाता है. यहां अंग्रेजों का शासन रहा है, ऐसे में क्रिकेट के बारे में लोग जानते हैं. यही नहीं, केले की पत्तियों को रुपये की तरह इस्तेमाल किया जाता है. 50 पत्तियों का अर्थ है 100 रुपये.