नई दिल्ली। बैंक प्राइवेटाइजेशन को लेकर एक बार फिर बड़ा अपडेट सामने आया है. इस अपडेट से ग्राहकों को बड़ा झटका लग सकता है. आईडीबीआई बैंक की कमान जल्दी ही विदेशी हाथों में दी जा सकती है. दरअसल, केंद्र सरकार जल्दी ही आईडीबीआई बैंक में विदेशी फंडों और इन्वेस्टमेंट कंपनियों के कंसोर्टियम को 51 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी को मंजूरी दे सकती है, इसके बाद बैंक पर विदेशी कंपनियों का ही मालिकाना हक होगा. दरअसल, देश में बैंकिंग व्यवस्था में बदलाव करने के लिए सरकार तेजी से प्राइवेटाइजेशन की तरफ बढ़ रही है. इसके तहत सबसे पहले आईडीबीआई बैंक का निजीकरण होगा.
जानकारी के अनुसार, ‘भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गाइडलाइंस के अनुसार नए प्राइवेट बैंकों में विदेशी मालिकाना हक सिमित है. डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट ने बिडर्स के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक का प्रमोटर्स के लिए रेजिडेंसी क्राइटीरिया नए बैंकों पर लागू होता है और यह आईडीबीआई बैंक जैसी मौजूदा एंटिटी पर लागू नहीं होगा. इसमें यह भी कहा गया है कि रेजिडेंसी क्राइटीरिया भारत के बाहर स्थापित फंड्स इनवेस्टमेंट व्हीकल के एक कंसोर्टियम पर लागू नहीं होगा.’
दीपम ने बताया है कि अगर एक नॉन बैंकिग फाइनेंशियल कंपनी का आईडीबीआई बैंक में मर्जर होता है तो भारत सरकार और आरबीआई शेयरों के लिए 5 साल के लॉक इन पीरियड में छूट देने पर भी विचार करेंगे. गौरतलब है कि दीपम की तरफ से आईडीबीआई बैंक में मेजॉरिटी स्टेक के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जमा करने की डेडलाइन 16 दिसंबर से पहले यह सफाई दिया गया है.
आपको बता दें कि IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी है, जबकि एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 फीसदी है. अब अगर सरकार 51% हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी देती है तो इस बैंक की ओनरशिप विदेशी कंपनियों को मिल जाएगी. इससे पहले दीपम के सचिव ने ट्वीट कर कहा था, ‘आईडीबीआई बैंक में भारत सरकार और एलआईसी हिस्सेदारी के स्ट्रैटेजिक विनिवेश के साथ मैनेजमेंट कंट्रोल भी ट्रांसफर किया जाएगा.’