लखनऊ । भाजपा ने विधान परिषद की सात सीटों के लिए शनिवार को प्रत्याशी घोषित कर दिए। वर्तमान सदस्य एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, मध्यप्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रभारी एवं परिषद सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह और लोकसभा चुनाव समन्वय के प्रभारी एवं परिषद सदस्य अशोक कटारिया को फिर से परिषद का टिकट दिया गया है।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विधान परिषद चुनाव में पूरब से पश्चिम तक अगड़े और पिछड़ो पर दांव चला है। पार्टी ने दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार और दो पिछड़ों को मैदान में उतारा है। तमाम कोशिश के बाद भी सामाजिक संतुलन बैठाने में चूक रही है। सात प्रत्याशियों में एक भी दलित और अल्पसंख्यक सदस्य नहीं हैं।
पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज को साधने के लिए पूर्व परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया और पार्टी ने अपने जाट बैंक पर कब्जा बनाए रखने के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल को टिकट दिया है।
वहीं पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट बैंक को संदेश देने के लिए आजमगढ़ के विजय बहादुर पाठक को फिर मौका मिला है। पूर्वांचल और अवध में ठाकुर वोट बैंक में आधार बरकरार रखने के लिए डॉ. महेंद्र सिंह और संतोष सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है।
अवध से पूर्वांचल तक भूमिहार समाज को संतुष्ट रखने के लिए धर्मेंद्र सिंह को मौका दिया है। एनडीए के दस उम्मीदवारों के सामाजिक समीकरण में अगड़े समाज से दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार हैं। जबकि तीन पिछड़ों में दो जाट, एक गुर्जर और एक कुर्मी हैं।
5 मई को रिक्त होने वाली परिषद की जिन 13 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है उनमें भाजपा के विद्यासागर सोनकर और निर्मला पासवान, बसपा के डॉ. भीमराव आंबेडकर दलित सदस्य हैं। लेकिन भाजपा, रालोद और अपना दल के प्रत्याशियों में एक भी दलित प्रत्याशी नहीं हैं।
सपा के जो नाम चल रहे हैं, उनमें भी कोई दलित नहीं है। नतीजन विधान परिषद में तीन दलित सदस्य कम होने से उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। परिषद में 6 मई से भाजपा के मात्र दो लालजी निर्मल और सुरेंद्र चौधरी दलित सदस्य रह जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने हालही में राज्यसभा की दस सीटों के लिए हुए चुनाव में आठ सीटों पर विजय हासिल की है। भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्यों में भी एक भी सदस्य दलित समाज से नहीं है।
विधान परिषद की जिन 13 सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें भाजपा के मोहसिन रजा और बुक्कल नवाब दो अल्पसंख्यक सदस्य है। दोनों का टिकट कटने से परिषद में अल्पसंख्यक समुदाय का नेतृत्व भी कमजोर हुआ है। परिषद में अब भाजपा से राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. तारिक मंसूर सदस्य हैं। जबकि सपा से शाहनवाज खान और मोहम्मद जासमीर अंसारी सदस्य हैं। सपा प्रत्याशियों पर निगाहें हैं।
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद की सात सीटों के लिए शनिवार को उम्मीदवारों का एलान कर दिया। वर्तमान सदस्य एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, मध्यप्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रभारी एवं परिषद सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह और लोकसभा चुनाव समन्वय के प्रभारी एवं परिषद सदस्य अशोक कटारिया को फिर से परिषद का टिकट दिया गया है।
विधान परिषद की 13 सीटों पर हो रहे रहे चुनाव में एनडीए को दस और सपा को तीन सीटें मिलेंगी। एनडीए ने एक सीट अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल के लिए दी है। एक सीट पर राष्ट्रीय लोक दल ने योगेश चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। एक सीट गठबंधन में सुभासपा को मिल सकती है।
शेष सात सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किए हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल और डॉ. संतोष सिंह, झांसी के पूर्व महापौर राम तीरथ सिंघल और प्रदेश भाजपा के मीडिया सह प्रभारी धर्मेंद्र सिंह को भी प्रत्याशी बनाया गया है। एनडीए के सभी प्रत्याशी नामांकन के अंतिम दिन 11 मार्च को नामांकन दाखिल करेंगे।
विधान परिषद के सदस्य यशवंत सिंह का टिकट कटा है। यशवंत ने स्थानीय निकाय क्षेत्र के चुनाव में आजमगढ़ से बगावत कर अपने बेटे विक्रांत सिंह उर्फ रिशु को निर्दलीय चुनाव लड़ाया था। भाजपा चुनाव हार गई थी, विक्रांत सदस्य निर्वाचित हुए थे। विद्यासागर सोनकर, मोहसिन रजा, डॉ. सरोजनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब, अशोक धवन और निर्मला पासवान का टिकट कटा है।