जालंधर. पपलप्रीत सिंह की 10 अप्रैल को गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल सिंह अकेला पड़ गया था। इससे पहले उसके भागने और छिपने का पूरा इंतजाम पपलप्रीत ही कर रहा था। पपलप्रीत के पकड़े जाने के बाद अमृतपाल मोगा के रोडे के गांव के गुरुद्वारा साहिब के सेवादार जसबीर सिंह रोडे की पनाह में रहा। जसबीर सिंह रोडे जरनैल सिंह भिंडरांवाले के भतीजे हैं।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भी रह चुके हैं और पंजाब सरकार में चेयरमैन भी। वह बादल परिवार के अलावा कई नामी नेताओं और केंद्रीय व पंजाब के अधिकारियों के करीबी माने जाते हैं। जसबीर का माझा में खासा जनाधार है। अमृतपाल की दस्तारबंदी कार्यक्रम में रोडे भी मौजूद थे। जसबीर रोडे ने दावा किया है कि अमृतपाल को गिरफ्तार नहीं किया गया, बल्कि उसने आत्मसमर्पण किया है। माना जा रहा है कि अमृतपाल को पनाह देने के मामले में जसबीर रोडे पर भी आने वाले समय में कार्रवाई हो सकती है।
दो साल पहले एनआईए ने जसबीर सिंह रोडे के निवास पर छापा मार कर उनके बेटे गुरमुख सिंह रोडे को गिरफ्तार किया था। गुरमुख सिंह रोडे के पास से पाकिस्तान से भेजा गया आरडीएक्स बरामद हुआ था। जसबीर रोडे का भाई लखबीर सिंह रोडे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता है। लखबीर रोडे इंडियन सिख यूथ फेडरेशन का प्रमुख है। उस पर कई आतंकी वारदात में शामिल होने के मामले दर्ज हैं।
जसबीर सिंह रोडे को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने उस कमेटी का अध्यक्ष बनाया, जिसे अमृतपाल सिंह व उसके साथियों पर दर्ज केस की पैरवी करने का जिम्मा था। जसबीर सिंह रोडे जेल में रह चुके हैं। केंद्र सरकार ने चार मार्च 1988 को जसबीर सिंह रोडे को रिहा कर कई लोगों को चौंका दिया था। उन्हें 1986 के सरबत खालसा में श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार नियुक्त किया गया था। रोडे ने रिहाई वाले दिन श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के रूप में पदभार संभाला था।